यह ख़बर 05 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मौजूदा सांसदों, जीत से चूके उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी भाजपा

खास बातें

  • आगामी लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
लखनऊ:

आगामी लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बनाने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने मौजूदा सांसदों के साथ ही पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशियों को फिर चुनाव मैदान में उतारेगी।

उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई की कोर कमेटी की हालिया बैठक में शुरुआती निर्णय लिया गया कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में पार्टी वर्तमान सांसदों के साथ ही प्रदेश की विभिन्न सीटों पर शानदार प्रदर्शन करने वाले, लेकिन जीत से चूकने वाले प्रत्याशियों को भी टिकट देगी।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य चुनाव समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चर्चा की गई, जिसमें निर्णय लिया गया कि पिछले लोकसभा चुनाव में जीते हुए 10 सांसदों को दोबारा मैदान में उतारा जाए। साथ ही दूसरे स्थान पर रहे 10 प्रत्याशियों को भी आजमाया जाए।

भाजपा नेताओं के मुताबिक, जिन सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर थे, यदि उन्हें फिर मौका दिया जाता है तो उन्हें इस चुनाव में अपनी-अपनी सीट पर सत्ता विरोधी लहर (एंटी इंकम्बेंसी) का पूरा फायदा मिलने की उम्मीद है।

पार्टी मान रही है कि जिन 10 सीटों पर उसे जीत मिली थी, उसमें राजनाथ सिंह, मेनका गांधी, लालजी टंडन, वरुण गांधी, योगी आदित्यनाथ जैसे मजबूत और दिग्गज उम्मीदवार थे, जिनके इस चुनाव में फिर जीतने की पूरी संभावना है।

उत्तर प्रदेश से 40 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर चल रही भाजपा को इस फॉर्मूले से 20 सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों के चयन की जद्दोजहद से छुट्टी मिल जाएगी। साथ ही इन 20 सीटों पर उसकी जीत की संभावना सबसे ज्यादा होगी।

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पाठक का कहना है कि यदि पार्टी इस फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरी तो करीब 40 सीटों पर उसका कब्जा होगा। यदि पार्टी 40 सीटें जीतने का लक्ष्य पाने में कामयाब हो जाती है तो दिल्ली में सरकार बनाना आसान हो जाएगा।