President Election: इस राष्‍ट्रपति ने अनोखी परंपरा कायम की, जिसे अब तक तोड़ा नहीं जा सका

राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्‍ट्रपति चुने गए. उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बाद दलीय निष्‍ठा से उबरने और स्‍वतंत्र ढंग से काम करने के लिए पार्टी पॉलिटिक्‍स से किनारा करने का फैसला किया. नतीजतन वह कांग्रेस की पॉलिटिक्‍स से रिटायर हो गए. यह एक ऐसी मिसाल थी जो बाद में परंपरा बन गई और अभी भी यह परंपरा बदस्‍तूर जारी है.

President Election: इस राष्‍ट्रपति ने अनोखी परंपरा कायम की, जिसे अब तक तोड़ा नहीं जा सका

पंडित नेहरू(बाएं), डॉ राजेंद्र प्रसाद (मध्‍य) और डॉ अंबेडकर (दाएं)

खास बातें

  • जुलाई में होने जा रहे राष्‍ट्रपति चुनाव
  • राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्‍ट्रपति
  • उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस छोड़ी

जुलाई में राष्‍ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. इस संबंध में बढ़ती सियासी सरगर्मियों के बीच सत्‍ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से नित नए नामों की चर्चा उभर रही है. इस बीच नीतीश कुमार ने राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्‍ट्रपति बनाने के लिए सर्वसम्‍मति बनाने की बात भी कही. हालांकि सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्‍व वाला सत्‍तारूढ़ एनडीए इसके लिए तैयार नहीं दिखता. हालांकि यदि ऐसा होता तो प्रणब मुखर्जी लगातार दो बार राष्‍ट्रपति बनने वाले दूसरे व्‍यक्ति होते. अभी तक बाबू राजेंद्र प्रसाद ही एकमात्र राष्‍ट्रपति हैं जो दो बार लगातार इस पद के लिए चुने गए.

राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्‍ट्रपति चुने गए. उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बाद दलीय निष्‍ठा से उबरने और स्‍वतंत्र ढंग से काम करने के लिए पार्टी पॉलिटिक्‍स से किनारा करने का फैसला किया. नतीजतन वह कांग्रेस की पॉलिटिक्‍स से रिटायर हो गए. यह एक ऐसी मिसाल थी जो बाद में परंपरा बन गई और अभी भी यह परंपरा बदस्‍तूर जारी है. उल्‍लेखनीय है कि अभी तक 13 राष्‍ट्रपति चुने गए हैं.

बाबू राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
पेशे से वकील राजेंद्र प्रसाद आजादी के संघर्ष में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे. उन्‍होंने महात्‍मा गांधी की प्रेरणा से वकालत छोड़कर स्‍वतंत्रता संग्राम में उतरने का फैसला किया. बिहार में सीवान के जीरादेई गांव में जन्‍मे बाबू राजेंद्र प्रसाद ने 1911 में कांग्रेस को ज्‍वाइन किया. उसके बाद वह बिहार और ओडि़शा प्रांत के नेता बने. वह संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा के अध्‍यक्ष रहे. उससे पहले 1946 में अंतरिम राष्‍ट्रीय सरकार में पहले खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे. वह 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्‍ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक देश के राष्‍ट्रपति रहे. 


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