राष्ट्रपति चुनाव : लालू ने कहा, उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में, बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की रणनीति सरकार के लिए एक चुनौती खड़ी करके विपक्षी एकता का नगाड़ा बजाना

राष्ट्रपति चुनाव : लालू ने कहा, उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में, बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा

राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर लालू यादव का कहना है कि प्रत्याशी का नाम पीएम के पेट में है.

खास बातें

  • उम्मीदवारी के मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने के बाद होगी विपक्ष की बैठक
  • राष्ट्रपति के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश में जुटी सरकार की कमेटी
  • विपक्ष शिवसेना और बीजेपी के असंतुष्टों को साधने की कोशिश में
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति पद का अपना उम्मीदवार घोषित करने से पहले विपक्ष सरकार की तरफ देख रहा है. इसलिए बुधवार को बुलाई गई अपनी सब कमेटी की बैठक में उसने न तो किसी नाम पर चर्चा की और न ही किसी नाम को फाइनल किया. बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उम्मीदवारी के मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने के बाद विपक्ष की बैठक फिर होगी.

सरकार की तीन सदस्यीय कमेटी शुक्रवार को सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी से मिलेगी. इस बीच कमेटी में शामिल मंत्रियों ने सतीशचंद्र मिश्रा और प्रफुल्ल पटेल से बात की है. वह राष्ट्रपति के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश में जुटी है.

विपक्षी पार्टियों में इस बात तो लेकर नाराज़गी है कि सरकार ने प्रक्रिया शुरू करने में देर की है. यहां तक कि प्रधानमंत्री को विपक्षी पार्टी के नेताओं से खुद बात करनी चाहिए, जो कि नहीं की है. उसे शंका है कि सरकार नाम के खुलासे में देर करके विपक्ष को ज़्यादा वक्त नहीं देने के मूड में है. तभी लालू यादव ने कहा कि राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में है बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा है.

विपक्ष को अहसास है कि सरकार के पास जीत के लिए जरूरी वोटों में जो 18,000 की कमी है वह एआईएडीएमके के साथ आने से पूरी हो जाएगी. टीआरएस और वाइएसआर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन की मंशा जता चुकी हैं. ऐसे में एनडीए की जीत तय मानी जा रही है. फिर भी विपक्ष शिवसेना जैसी पार्टी के अलग राग और बीजेपी के असंतुष्टों को साधने की कोशिश करेगा. माना जा रहा है कि आडवाणी को उम्मीदवार नहीं बनाने की सूरत में बीजेपी में भीतरघात हो सकता है. आडवाणी पर क्रिमिनल केस के चलते उनकी उम्मीदवारी पर पहले ही ग्रहण लग चुका है.

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के हाथ कुछ आए न आए लेकिन उसकी रणनीति सरकार के लिए एक चुनौती खड़ी कर विपक्षी एकता का नगाड़ा बजाना है. इससे 2019 के लिए महागठबंधन की नींव डालने में मदद मिलेगी.


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