इस कमेटी में एनसीपी की तरफ से अजीत पवार, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और नबाब मलिक शामिल होंगे. तो कांग्रेस की तरफ से पृथ्वीराज चौहान,अशोक चव्हाण,बाला साहेब थोरात, मानिक राव ठाकरे और विजय वेदितिवार शामिल हो सकते हैं..अब आगे होगा क्या? यह महत्वपूर्ण है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एक समन्वय समिति बनाई जाएगी जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों दलों के नेता होंगे. एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जाएगा.
मुख्यमंत्री 50-50 के आधार पर होगा. यानी पहले ढाई साल तक शिव सेना का मुख्यमंत्री होगा और फिर बाकी ढाई साल तक एनसीपी का, क्योंकि दोनों दलों के बीच केवल दो विधायकों का अंतर है. शिवसेना के पास 56 विधायक हैं तो एनसीपी के पास 54. कांग्रेस के पास पांच सालों तक उप मुख्यमंत्री का पद रहेगा और विधानसभा अध्यक्ष भी उन्हीं का होगा. बाकी मंत्रालयों का बराबर से बंटवारा किया जाएगा. जिसका मुख्यमंत्री होगा उसके 16 मंत्री, जिसका उप मुख्यमंत्री होगा उसके 14 मंत्री और कांग्रेस को 12 मंत्री पद मिलेंगे. अफसरों की नियुक्ति भी समन्वय समिति करेगी. यानी चीफ सेक्रेट्री, गृह सचिव, मुंबई और अन्य बड़े शहरों के पुलिस प्रमुख और अफसरों की नियुक्ति भी यही समिति करेगी. यानी एनसीपी और कांग्रेस महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में सत्ता का संतुलन बनाए रखना चाहती है.
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यही नहीं एनसीपी और कांग्रेस शिवसेना पर यह दबाव बना रही है कि वह अपने हिंदुत्व के एजेंडे को फिलहाल पीछे छोड़ दे, ठीक उसी तरह जैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन विवादित मुद्दे छोड़कर सबसे पहले गठबंधन की सरकार बनाई थी. एक और महत्वपूर्ण बात यह भी रखी जाने वाली है कि शिव सेना की अराजक वाली छवि, यानी किसी भी दफ्तर में घुसकर मारपीट करना, ऊधम मचाना.. ये सब उसको छोड़ना होगा.
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एनसीपी-कांग्रेस ने नई सरकार के कामों का रोड मैप भी तैयार कर लिया है. नई सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी किसानों का पूरा लोन माफ करना, मुस्लिम आरक्षण को बहाल करना, जिसे बीजेपी सरकार ने हटा दिया था, लेकिन यह शिव सेना के घोषणा पत्र में है. फसल बीमा स्कीम को सख्ती से लागू करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य को न्यूनतम साक्षा कार्यक्रम का हिस्सा बनाना. यानी महाराष्ट्र सरकार के अगले कुछ कामों की रूपरेखा तैयार है. वजह साफ है कि नई सरकार ऐसे कामों को अंजाम देना शुरू करे जिसे वह आगे करने के लिए जनता से वोट मांग सके, खासकर किसी कारणों से यदि यह सरकार गिर जाती है.
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