उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर कांग्रेस को मिला सपा-बसपा का भी साथ

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर कांग्रेस को मिला सपा-बसपा का भी साथ

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर संसद में कांग्रेस के पक्ष में एसपी और बीएसपी दोनों खुल कर उतर आई हैं। हालांकि सरकार इस मामले में अपने रुख़ पर क़ायम है कि फिलहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

कांग्रेस राज्यसभा में नियम 267 के तहत उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ी हुई है। उत्तराखंड के मुद्दे पर मायावती का खुला साथ पाकर ग़ुलाम नबी आज़ाद समेत कांग्रेसी सांसदों के चेहरे खिल उठे। जेडीयू और वामपंथी दल पहले ही इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ हैं।

पीएम मोदी के खिलाफ चली नारेबाजी
मंगलवार को लगातार दूसरे दिन राज्यसभा में कांग्रेस सांसदों ने सभापति के आसन के क़रीब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी नहीं चलेगी' और 'मोदी तेरी हिटलरशाही नहीं चलेगी नहीं चलेगी' के नारे लगाए। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार बार स्थगित होती रही।

शून्यकाल में एसपी के नरेश अग्रवाल ने कहा कि वो सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है लिहाज़ा इस पर संसद में चर्चा नहीं कार्रवाई जा सकती। अग्रवाल ने कहा कि एसपी हमेशा से धारा 356 के विरोध में रही है, लिहाजा उत्तराखंड पर चर्चा होनी चाहिए।

धारा 356 का प्रयोग राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर करने की परम्परा बन गई है
थोड़ी ही देर में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी कह दिया कि  जनहित की बजाय धारा 356 का प्रयोग राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर करने की परम्परा बन गई है। लिहाज़ा उप सभापति को इस विषय में अपने अधिकारों का प्रयोग कर चर्चा की अनुमति देनी चाहिये।

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सरकार अपने रुख पर कायम
हालांकि सत्तापक्ष के नेता अरुण जेटली ने सरकार का रुख़ दोहराते हुए कहा कि उत्तराखंड में अस्थिरता को देखते हुए राष्ट्रपति शासन का फैसला बिल्कुल ठीक था। राज्य सरकार अल्पमत में थी। जब सदन में राष्ट्रपति शासन का मसला आए तब इस चर्चा हो सकती है लेकिन प्री-प्रोक्लेमेशन स्टेज पर नहीं।