यह ख़बर 15 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

राजनीतिक आम सहमति न होने से आर्थिक वृद्धि की राह में अड़चन : पीएम

खास बातें

  • 66वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि विकास प्रक्रिया से जुड़े मामले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखे जाएं।
नई दिल्ली:

देश में तेज आर्थिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की राह में कई मुद्दों पर आम राजनीतिक सहमति नहीं होने को बाधा मानते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि अब समय आ गया है कि विकास प्रक्रिया से जुड़े मामले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखे जाएं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य गरीबी और अशिक्षा को हटाना है।

ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश के 66वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, जहां तक तेज आर्थिक विकास के लिए देश के अंदर अनुकूल वातावरण बनाने का प्रश्न है, मेरा मानना है कि बहुत से मुद्दों पर आम राजनीतिक सहमति नहीं होने के कारण हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम अपनी विकास प्रक्रिया से जुड़े मामलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन दिनों विश्व की अर्थव्यवस्था एक मुश्किल दौर से गुजर रही है और सभी देशों में आर्थिक विकास की रफ्तार कम हुई है। यूरोप के देशों को मिलाकर देखा जाए, तो इस साल उनकी विकास दर शून्य रहने का अनुमान है। देश के बाहर के हालात का असर हम पर भी पड़ा है। साथ ही देश के अंदर कई ऐसी परिस्थितियां बनी हैं, जो हमारे आर्थिक विकास में बाधा पहुंचा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने शासन-प्रशासन के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का संकल्प दोहराने के साथ ही यह भी ध्यान रखने को कहा कि बेबुनियाद शिकायतों और गैर-जरूरी अदालती कार्रवाइयों से अधिकारियों के मनोबल को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

प्रधानमंत्री के रूप में नौवीं बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, लोकसभा ने लोकपाल विधेयक पारित कर दिया है। हमें उम्मीद है कि राज्यसभा में इस विधेयक को पारित करने में सभी राजनीतिक दल हमारी मदद करेंगे। लोकसेवकों के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और उसमें भ्रष्टाचार कम करने की कोशिश हम जारी रखेंगे।

असम में जातीय हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने वायदा किया कि सरकार इन घटनाओं की वजहों को समझने की पूरी कोशिश करेगी और राज्य सरकारों के साथ मिलकर मेहनत से काम करेगी ताकि देश में कहीं भी इस तरह के हादसे दोबारा न होने पाएं।

आंतरिक सुरक्षा की चर्चा करते हुए सिंह ने कहा, सांप्रदायिक सद्भाव को हमें हर कीमत पर बनाए रखना है। इस महीने के शुरू में पुणे में जो घटनाएं हुईं, वे इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में हमें अभी काफी काम करना है।

महंगाई पर काबू पाने का संकल्प करते हुए उन्होंने खराब मॉनसून की वजह से कुछ मुश्किल पेश आने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में बरसात में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा की कमी हुई है, वहां के किसानों को सरकार डीजल पर अलग से सब्सिडी दे रही है। बीज सब्सिडी में बढ़ोतरी की गई है और चारे के लिए केन्द्र की योजना में उपलब्ध राशि बढ़ा दी गई है।

किसानों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, अच्छी बात यह है कि हमारे किसान भाई-बहनों की मेहनत की वजह से देश में अनाज का बहुत बडा भंडार है और अनाज की उपलब्धता की समस्या हमारे सामने पैदा नहीं होगी।

अपनी चिर-परिचित नीले रंग की पगड़ी बांधे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रध्वज फहराने के बाद दिए अपने संबोधन में देश के सैन्यबलों की सराहना करते हुए कहा, हमने हाल के महीनों में अपनी सेना की भूमिका और उसकी तैयारी के बारे में काफी बहस देखी। हमारी सेना और अर्धसैनिक बल हर प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। सरकार इन बलों को आधुनिक बनाने के लिए वचनबद्ध है और उन्हें जरूरी प्रौद्योगिकी एवं साजो- सामान मुहैया कराने का काम जारी रखेगी।

उन्होंने बताया कि सैनिकों और अधिकारियों के वेतन एवं पेंशन संबंधी मामलों की जांच के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया है। यह समिति सेवानिवृत्त सैनिकों और अधिकारियों की पेंशन और उनके परिजनों को मिलने वाली पारिवारिक पेंशन से संबंधित मुद्दों की भी जांच करेगी। समिति की सिफारिशें हासिल होने के बाद हम उन पर जल्द से जल्द फैसला करेंगे।

सिंह ने उम्मीद जताई कि परेशानियों का मौजूदा दौर ज्यादा दिन नहीं चलेगा। इन दिक्कतों का सामना करते हुए हमें इस बात से हौसला मिलना चाहिए कि पिछले आठ साल में हमने कई क्षेत्रों में असाधारण सफलताएं प्राप्त की हैं। जरूरत इस बात की है कि हम इस तरह की सफलताएं बहुत से नए क्षेत्रों में भी हासिल करें।

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उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल के दौरान सरकार की कोशिश रही है कि हम अपने नागरिकों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं, ताकि वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान दे सकें।