नई दिल्ली: हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो आईपीएस अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफसरों को सख्त हिदायत के बाद यह कदम उठाया गया था. पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा था कि जो सही तरीके से काम नहीं करेगा या जिसका सर्विस रिकॉर्ड सही नहीं होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब सरकार द्वारा तैयार किए गए नए नियमों के अनुसार भ्रष्टाचार और अन्य अनियमितताओं के आरोपों के लिए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ सारी विभागीय जांच अधिकतम 90 दिन के भीतर पूरी करनी होगी. इन नियमों का लक्ष्य दोषियों के लिए त्वरित सजा सुनिश्चित करना है.
कार्मिक मंत्रालय अखिल भारतीय सेवाओं- भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) के अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए नए नियम जारी किए हैं. इसमें जांच पूरी करने के लिए चरणवार विशेष समय-सीमा प्रदान की गई है.
संशोधित नियमों के अनुसार विभागीय जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने की समय-सीमा निर्धारित की गई है. अगर छह महीने की समय-सीमा के भीतर जांच पूरी करना संभव नहीं है तो लिखित में उचित कारण देना होगा और अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा एक बार छह महीने की अतिरिक्त समय-सीमा दी जा सकती है. इसके जरिए जांच पूरी करने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी.
नये नियमों के अनुसार आरोप पत्र पर अपना जवाब देने के लिए कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही करने वाले अधिकारी के लिए 30 दिन की समय-सीमा निर्धारित की गई है. इसे अनुशासनात्मक प्राधिकार द्वारा 30 दिन से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है और 90 दिन से अधिक विस्तार नहीं दिया जाएगा.
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अधिक जवाबदेही लाने और शासन के क्रम में हर कवायद को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है. सिंह ने कहा, ‘बदलाव के जरिए यह सुनिश्चित करना है कि दोषी को तेजी से सजा हो. यह सभी कर्मचारियों को संदेश भेजेगा कि उन्हें अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन करना है और बिना किसी भूल-चूक के काम करना है.’
उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव अधिकारियों के लिए प्रोत्साहक के तौर पर काम करेंगे और निश्चित तौर पर कोई भी लापरवाही दिखाए बिना समय-सीमा के भीतर कार्य करने की संस्कृति को मजबूत बनाएंगे. जांच पूरी करने में विलंब पर रोक लगाने के लिए नए नियमों ने जांच अधिकारी के लिए अनिवार्य बनाया है कि वे छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपें. हालांकि, पर्याप्त कारण बताने पर इस समय-सीमा को छह महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
नियमों में कहा गया है कि इसी तरह कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही करने वाले अधिकारी पर जुर्माना लगाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के परामर्श ज्ञापन भेजने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है और इस तरह के ज्ञापन के लिए भी 45 दिन के बाद कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा.
(इनपुट भाषा से...)