नई शिक्षा नीति के मसौदे में हिंदी को शामिल करने पर तमिलनाडु में उबाल, विरोध शुरू

दक्षिण भारत में एक बार फिर हिंदी को लेकर माहौल गर्म होता दिख रहा है. खासकर तमिलनाडु में हिंदी का विरोध शुरू हो गया है.

खास बातें

  • दक्षिण में हिंदी को लेकर माहौल फिर गर्म
  • नई शिक्षा नीति के मसौदे पर बवाल
  • तमिलनाडु में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली :

दक्षिण भारत में एक बार फिर हिंदी को लेकर माहौल गर्म होता दिख रहा है. खासकर तमिलनाडु में हिंदी का विरोध शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि नई शिक्षा नीति के मसौदे से तमिलनाडु के लोग नाराज हैं. सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. ट्विटर पर #StopHindiImposition ट्रेंड कर रहा है. दरअसल, नई शिक्षा नीति के मसौदे में 3 भाषाएं पढ़ाने की बात हो रही है, जिसमें हिंदी भी शामिल है. इसी बात को लेकर दक्षिण में विरोध शुरू हो गया है. नेताओं और सिविल सोसायटी ने कहा कि इसे थोपा जा रहा है.  

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विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि 2 भाषाओं की नीति का पालन करेंगे और राज्य में सिर्फ़ तमिल और अंग्रेजी ही लागू होगी. डीएमके नेता कनीमोई ने कहा कि हम किसी भाषा के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन हिंदी थोपने का विरोध करेंगे. वहीं अभिनेता और नेता कमल हासन ने कहा कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जा सकता है. टीटीवी दिनाकरन ने कहा है कि केंद्र को ये नीति नहीं लानी चाहिए, इससे विविधता ख़त्म होगी. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से हम दूसरे दर्जे के नागरिक बन जाएंगे. 

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क्या है नई शिक्षा नीति 2019 के मसौदे में 
- ये प्रस्ताव की शक्ल में ड्राफ़्ट पेपर है
- इस नीति में 3 भाषाओं का प्रस्ताव है 
- इस नीति में शुरुआत से ही 3 भाषा सिखाने का प्रावधान है
- मसौदे के मुताबिक इससे 'बहुभाषीय संवाद क्षमता को बढ़ावा मिलेगा'
- 1968 की राष्ट्रीय नीति में 3 भाषाओं का फ़ॉर्मूला था
- शिक्षा सम्वर्ती सूची में और ये राज्य का विषय नहीं है 
- ऐसे में केंद्र शिक्षा नीति बना सकता है