केरल : पशु बिक्री पर नए प्रतिबंध से विपक्ष खफा, कहा - राज्यों से चर्चा की जानी चाहिए थी

केंद्र सरकार ने जहां नई अधिसूचना जारी कर वध के लिए पशुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसे 'राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन' करने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है.

केरल : पशु बिक्री पर नए प्रतिबंध से विपक्ष खफा, कहा - राज्यों से चर्चा की जानी चाहिए थी

शनिवार को केरल के गोमांस विक्रेताओं के कारोबार पर इसका असर देखने को नहीं मिला...

खास बातें

  • केंद्र ने अधिसूचना जारी कर वध के लिए पशुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया
  • केरल ने इसे 'राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन' करने वाला नियम बताया
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की
तिरुवनंतपुरम:

केंद्र सरकार ने जहां नई अधिसूचना जारी कर वध के लिए पशुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसे 'राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन' करने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है. केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी पशु बिक्री के नियमों में लाई गई सख्ती का विरोध किया है और कहा है कि इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है और यह 'समाज को बांटने की कोशिश' के तहत लाया गया है. वहीं दूसरी ओर शनिवार को केरल के गोमांस विक्रेताओं के कारोबार पर इसका असर देखने को नहीं मिला और अपने पसंदीदा खाद्य (मांस) को खरीदने के लिए हमेशा की तरह लोगों की भारी भीड़ देखी गई.

विजयन ने प्रधानमंत्री को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा है, "मैं आपसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करता हूं और नए प्रतिबंधों को हटाने की मांग करता हूं, ताकि देश के लाखों पशुपालकों, किसानों की आजीविका को सुरक्षित किया जा सके और संविधान के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा भी की जा सके." विजयन ने कहा कि केरल में आबादी का बड़ा हिस्सा मांसाहारी है और देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में भी यही स्थिति है. विजयन ने लिखा है, "यहां तक असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी शाकाहारियों की अपेक्षा मांसाहारियों की संख्या अधिक है." विजयन ने कहा कि नए नियम लागू करने से पहले राज्यों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी.

उन्होंने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा है, "इस तरह का दूरगामी प्रभाव वाला सख्त कदम उठाने से पहले राज्यों को विश्वास में लेने की कोशिश का अभाव हमारे लोकतंत्र के लिए घातक है. मुझे आशंका है कि हमारे देश की संघीय संरचना में यह फैसला राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है. जल्दबाजी में इस तरह का प्रतिबंध लगाना हमारे देश की मूल विशेषता विविधता को बनाए रखने में चुनौती साबित होगा. यह हमारे संविधान में स्थापित धर्मनिरपेक्षता एवं संघीय भावना के सिद्धांतों के खिलाफ जाएगा."

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए. के. एंटनी ने कहा है कि केरल में इस आदेश का हाल 'किसी कागज के टुकड़े' जैसा होगा और 'इसे यहां लागू करना खतरनाक' होगा. एंटनी ने कहा, "इस आदेश को फाड़कर रद्दी की टोकरी में फेंक देना चाहिए. इसके पीछे आरएसएस है, क्योंकि वे देश को बांटने की कोशिशों में लगे हुए हैं." वहीं, विपक्षी नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रमेश चेन्निथला ने त्रिसूर में मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे से कानूनी और राजनीतिक दोनों तरीके से निपटेगी. चेन्निथला ने कहा कि पार्टी इस 'मूर्खतापूर्ण कानून' के खिलाफ सोमवार को 'काला दिवस' मनाएगी.

उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार लोगों के उस अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकती, जिसमें जनता के पास यह स्वतंत्रता है कि वह क्या खाएं और क्या नहीं खाएं. हम इस मुद्दे का कड़ाई से विरोध करेंगे." इस बीच शनिवार को पशु कारोबारियों के एक समूह ने कहा, "हमें चिंता इस बात की है कि अगर राज्य सरकार इन नियमों को लागू करती है तो यह अव्यावहारिक होगा. हम इंतजार कर रहे हैं."

इस दौरान, सभी राजनीतिक दलों ने भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के इस कदम को मूर्खतापूर्ण बताया है. वहीं, राज्य की भाजपा इकाई ने मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का मीडिया पर आरोप लगाया. केरल भाजपा के महासचिव एम. टी. रमेश ने कहा, "मीडिया और राजनीतिक दल जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहे हैं. अगर किसी को संदेह है तो वह कानूनी मदद ले सकता है. आदेश स्पष्ट है और राजनीतिक फायदे के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है."

नए आदेश के खिलाफ प्रतिरोध का आह्वान करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) की युवा इकाई ने समूचे केरल में बीफ समारोह मनाने का फैसला किया है, जहां गोमांस से बने व्यंजन परोसे जाएंगे. राज्य में गोमांस की कीमत 280-300 रुपये प्रति किलोग्राम है. इस बीच पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया है कि नया कानून पशु बाजार में पशुओं के साथ क्रूरता पर रोकथाम के लिए लाया गया है, न कि बूचड़खानों के पशु कारोबार को नियमित करने के लिए. मंत्रालय ने कहा है कि पशु बाजार का उद्देश्य कृषि कार्यो के लिए पशुओं की खरीदारी होना चाहिए तथा वध के लिए पशुओं की खरीदारी सीधे पशुपालकों से होनी चाहिए.


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