आठ देशों में समलैंगिक संबंध बनाने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानने वाला 126 वां देश बना

आठ देशों में समलैंगिक संबंध बनाने वालों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • दुनिया के 72 देश और क्षेत्रों में समलैंगिक संबंध अपराध
  • 45 देशों में महिलाओं का आपस में यौन संबंध बनाना गैर कानूनी
  • दर्जनों देशों में इस तरह के संबंधों पर कैद की सजा
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के साथ ही भारत उन 125 अन्य देशों के साथ जुड़ गया, जहां समलैंगिकता वैध है. हालांकि दुनियाभर में अब भी 72 ऐसे देश और क्षेत्र हैं जहां समलैंगिक संबंध को अपराध समझा जाता है. इनमें 45 वे देश भी हैं जहां महिलाओं का आपस में यौन संबंध बनाना गैर कानूनी है.    

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को आईपीसी की धारा 377 के तहत 158 साल पुराने इस औपनिवेशिक कानून के संबंधित हिस्से को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. 

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इंटरनेशनल लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन के अनुसार आठ ऐसे देश हैं जहां समलैंगिक संबंध पर मृत्युदंड का प्रावधान है और दर्जनों ऐसे देश हैं जहां इस तरह के संबंधों पर कैद की सजा हो सकती है.    

जिन कुछ देशों में समलैंगिक संबंध वैध ठहराये गए हैं उनमें अर्जेंटीना, ग्रीनलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, आईसलैंड, स्पेन, बेल्जियम, आयरलैंड, अमेरिका, ब्राजील, लक्जमबर्ग, स्वीडन और कनाडा शामिल हैं.

VIDEO : समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं

(इनपुट भाषा से)


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