लगभग 7 महीने से हिरासत में फारुख अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाये गये आरोप शुक्रवार को हटा दिये गये. राज्य के गृह सचिव शालीन काबरा ने एक आदेश में कहा कि 17 सितम्बर को अब्दुल्ला पर लगाया गया पीएसए को हटा दिया गया है. अब्दुल्ला पर लगाये गये पीएसए की अवधि 13 दिसम्बर को बढ़ा दी गई थी. आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है. अब पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला की रिहाई की तैयारी हो रही है. नेशनल कांफ्रेंस ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा करने से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया की वास्तविक पुनर्स्थापना होगी. नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने कहा कि प्रक्रिया को और गति तब मिलेगी जब पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और अन्य राजनीतिज्ञों की रिहाई होगी. हम सरकार से उनकी यथाशीघ्र रिहाई की अपील करते हैं. पार्टी ने विज्ञप्ति में कहा, 'जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये लोगों की आवाज मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है और आगे भी वह इसे जारी रखेगी'.
किसने क्या कहा
सीताराम येचुरी : अभी कई और भी जेल में है. सबको रिहा करके जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को फिर से स्थापित करने की प्राथमिकता हो. अभी वहां कोई भी राजनीतिक गतिविधि नहीं हो रही है इसलिए अभी लोकतंत्र स्थगित है. लोगों के इक्टठा होने और अन्य गतिविधियों पर रोक हटनी चाहिए.
अभिषेक मनु सिंघवी : लोकतंत्र का रास्ता भले ही घुमावदार हो और नदी की तरह कई उतार-चढ़ाव वाला हो लेकिन आखिरकार नदी समुद्र में पहुंच जाएगी.
शशि थरूर : डॉ. फारुख अब्दुल्ला की रिहाई का स्वागत करते हैं. मुझे उम्मीद है कि वो जल्द ही लोकसभा में उचित स्थान में वापस आएंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)