यह ख़बर 07 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के बंगले पर टॉयलेट पेपर नहीं पहुंचा तो अधिकारी को पद से हटाया

नई दिल्ली:

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के बंगले पर टॉयलेट पेपर रोल नहीं पहुंचाने पर निदेशक स्तर के एक अधिकारी को उनके पद से हटा दिया गया है। साथ ही चेयरमैन के बंगले पर अलग-अलग वक़्त पर काम करने वाले तीन कर्मचारियों ने भी प्रताड़ना का आरोप लगाया है। एनडीटीवी इंडिया के पास इससे जुड़े कई दस्तावेज़ हैं।

13 लाख लोगों को रोजगार देने वाली रेलवे के कर्मचारियों से लेकर अधिकारी तक सिस्टम के सताए हैं और खासबात यह है कि आरोप सीधे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार पर लग रहे हैं। फरियादी कोई मामूली कर्मचारी नहीं बल्कि नॉर्दन जोन में तैनात रहे सीनियर डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर को−ऑर्डिनेशन अजय सिंह हैं, जिनका आरोप है कि उन्होंने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के घर टॉयलेट पेपर नहीं भिजवाया और फिर बाद में उनकी पत्नी से मिलने नहीं गए तो उन्हें परेशान करने के लिए ट्रेनिंग में भेज दिया गया।

इतना ही नहीं उनके पद पर दूसरे अधिकारी की पोस्टिंग कर दी गई। 9 अगस्त को रेलवे बोर्ड चेयरमैन के प्रोटोकॉल ऑफिसर साई ने अजय सिंह को फोन कर कहा कि सीआरबी सर के बच्चे आए हुए हैं और घर में टॉयलेट पेपर रोल खत्म हो गया है भिजवा दीजिए। अजय सिंह ने टॉयलेट पेपर रोल भिजवाने से इनकार कर दिया। फौरन ही चेयरमैन रेलवे बोर्ड की पत्नी का फोन आया, जिसमें उन्होंने सवाल किया कि आप टॉयलेट पेपर रोल क्यों नहीं भेजेंगे। अजय सिंह के एक बार फिर मना करने पर सीआरबी की पत्नी ने कहा कि वह चीफ मैकेनिकल इंजीनियर से बात करेंगी। फिर अजय सिंह ने अपने बॉस चीफ मैकेनिकल इंजीनियर एके पुठिया को घटना की पूरी जानकारी दी। एके पुठिया ने बात खत्म करने की गरज से कहा कि टॉयलेट पेपर रोल बंगले पर भिजवा दो, लेकिन अजय सिंह ने फिर इनकार कर दिया। फिर पुठिया ने कहा कि वह लखनऊ में हैं, लौटकर सोमवार को बात करेंगे।  सोमवार को अजय सिंह बड़ौदा हाउस में एके पुठिया से मिलने पहुंचे। पुठिया साहब ने कहा कि सीआरबी मैडम ने तुम्हारी शिकायत की है। ऐसे भी तुम्हें सीआरबी मैडम को न नहीं कहना चाहिए था। जाओ मैडम से मिल लो, लेकिन अजय सिंह मैडम सीआरबी से मिलने नहीं गए।

इसके बाद 26 अगस्त को डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर को−ऑर्डिनेशन अजय सिंह को 5 हफ्ते की ट्रेनिंग पर भेज दिया गया और इसी बीच 12 सितंबर को अजय सिंह की पोस्ट पर एसएस अहलुवालिया की पोस्टिंग का आदेश निकाल दिया गया।

हैरानी की हद है कि जिस टॉयलेट पेपर रोल की वजह से बवाल मचा वह रेलवे यानी सरकारी था, जिसका घर या निजी इस्तेमाल नहीं हो सकता, लेकिन रेलवे बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन खिलाफ इस तरह की यह कोई पहली शिकायत नहीं है।

2010 में अरुणेंद्र कुमार के बंगले पर काम करने वाले राजकुमार ने शिकायत की है कि अरुणेंद्र कुमार और उनकी पत्नी उसके साथ मारपीट करते हैं।  मैडम रोज मारती हैं और मुझे यहां से पोस्टिंग नहीं दी गई तो मैं पागल हो जाऊंगा।

2011 में अरुणेंद्र कुमार के बंगले पर बतौर खलासी काम करने वाले गोकुल सिंह ने भी अपने साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को लेकर डीआरएम ऑफिस में शिकायत दी। गोकुल ने लिखा कि मैडम रोज शराब पीकर मुझे मारती हैं। मां, बाप और बच्चों को गालियां देती हैं। छुट्टी भी नहीं मिलती और कोई सामान मंगाती हैं तो पैसे भी नहीं देतीं।

2013 में जब अरुणेंद्र कुमार बतौर जीएम बिलासपुर में तैनात थे तब उनके बंगले पर काम करने वाले किशोर कुमार नायक ने भी प्रताड़ना की शिकायत की। नायक ने शिकायत पत्र में यहां तक लिखा कि अब तो लगने लगा है कि बंगले में जाने का मतलब मौत है, डर है, ख़ौफ़ है।

चेयरमैन रेलवे बोर्ड और उनकी पत्नी के खिलाफ ये ऐसी शिकायतें हैं, जिनके दस्तावेज एनडीटीवी इंडिया के पास मौजूद हैं, लेकिन यह भी सच है कि अभी तक ऐसी किसी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इस मुद्दे पर रेलमंत्री और रेल राज्यमंत्री से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन रेलमंत्री ने जवाब देने से इनकार कर दिया और रेल राज्यमंत्री के दफ्तर ने मिलने का वक्त ही नहीं दिया।

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रेलवे की दुर्दशा कहने सुनने या बताने की नहीं, देखने और समझने की चीज है, पर सवाल है कि जब चेयरमैन रेलवे बोर्ड के घर टॉयलेट पेपर की मुफ्त सप्लाई भी रेलवे की ही जिम्मेदारी हो और अगर कोई ईमानदार ऑफिसर ऐसा करने से मना करे तो उसे टॉर्चर करने के लिए ट्रेनिंग पर भेज दिया जाए तो फिर भगवान ही बताएगा कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद इंडियन रेलवे के अच्छे दिन कब और कैसे आएंगे।