यह ख़बर 01 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

शुष्क शौचालय पर जेल भी संभव : रमेश

खास बातें

  • केन्द्रीय पंचायती एवं ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि केन्द्र शीघ्र ही ऐसा कानून बनाएगा, जिसके अंतर्गत शुष्क शौचालय का उपयोग करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी और उन्हें जेल भी हो सकती है।
भोपाल:

केन्द्रीय पंचायती एवं ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि केन्द्र शीघ्र ही ऐसा कानून बनाएगा, जिसके अंतर्गत शुष्क शौचालय का उपयोग करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी और उन्हें जेल भी हो सकती है।

रविन्द्र भवन प्रांगण में राष्ट्रीय गरिमा अभियान के अंतर्गत मैला-मुक्ति यात्रा की शुरुआत करते हुए रमेश ने मैला ढोने की प्रथा को देश के लिए कलंक बताया। उन्होंने मैला ढोने की प्रथा से मुक्ति पाने वाली महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में सर्वोच्च प्राथमिकता देने की घोषणा की। ऐसे स्व-सहायता समूहों को बैंक से ऋण दिलाने के साथ ही रोजगार संबंधी जरूरी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले दस साल में भारत खुले में शौच जाने की स्थिति से पूरी तरह मुक्ति पा लेगा।

रमेश ने कहा कि भारत ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है लेकिन दुखद स्थिति है कि 60 प्रतिशत महिलाएं अब भी खुले में शौच जाती हैं। देश में 26 लाख शुष्क शौचालय उपयोग में आ रहे हैं। इनमें से 40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और 60 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में हैं।

आज भी दो से तीन लाख परिवार मैला ढोने के काम में लगे हैं। इस स्थिति को समाप्त करने के लिये सरकारी कार्यक्रमों के अलावा सामाजिक और राजनैतिक आंदोलन की आवश्यकता है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में राज्य सरकार मैला ढोने की प्रथा को समूल नष्ट करने के लिए प्रतिबद्घ है, यदि कोई परिवार या व्यक्ति किसी मजबूरी से इस प्रथा से जुड़ा है तो उसे अन्य व्यवसाय शुरू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरा वित्तीय सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में देश के विभिन्न प्रांतों की वे महिलाएं शामिल हैं जिन्होंने मैला ढोने की प्रथा से मुक्ति पा ली है। इनमें मध्यप्रदेश की 11 हजार महिलाएं हैं। यह यात्रा 30 नवम्बर से शुरू हो रही है और 31 जनवरी 2013 को 18 राज्य और 200 जिलों से होती हुई नई दिल्ली पहुंचेगी। यात्रा में शामिल महिलाएं संदेश वाहक बनकर 50 हजार महिलाओं को इस कुप्रथा से मुक्ति दिलाएंगी।

स्वामी अग्निवेश ने वाल्मीकि समुदाय का आह्वान किया कि वह स्वयं को कमजोर न समझे। अपनी गरिमा और शक्ति को पहचाने। उन्होंने वाल्मीकि समाज की महिलाओं में चेतना जागृत करने वाली मंदसौर जिले की महिला लाली बाई के प्रयासों का अभिनंदन करते हुए सार्वजनिक रूप से चरण-स्पर्श किए। इस अवसर पर उज्जैन की तस्लीम बाई और राजस्थान के चित्तौड जिले की छोटी बाई ने अपने अनुभव बताए।

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इस मौके पर मध्यप्रदेश सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष गंगा राम, मैगसेसे पुरस्कार विजेता संदीप पाण्डेय, दलित चेम्बर अफ  कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के मिलिंद कामले और अशासकीय संगठनों के सदस्य उपस्थित थे।