यह ख़बर 26 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

राजस्थान में प्री-मेडिकल टेस्ट में तीसरी बार धांधली

खास बातें

  • इस तरह का मामला लगातार तीसरी बार सामने आया है, जिसमें 40 से अधिक छात्र अवैध ढंग से परीक्षा उत्तीर्ण करने को लेकर संदेह के घेरे में हैं।
जयपुर:

राजस्थान में इस वर्ष मई में हुई प्री-मेडिकल परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया है। इस तरह का मामला लगातार तीसरी बार सामने आया है, जिसमें 40 से अधिक छात्र अवैध ढंग से परीक्षा उत्तीर्ण करने को लेकर संदेह के घेरे में हैं। यह मामला मंगलवार को तब सामने आया जब चेतन नाम के एक छात्र को गिरफ्तार किया गया। चेतन ने विक्रम नाम के एक पेशेवर छात्र को 400,000 रुपये में परीक्षा में अपनी जगह बैठने के लिए राजी किया था। जब चेतन काउंसिलिंग के लिए गया तो परीक्षा के दौरान लिया गया अंगूठे का निशान और फोटो उसके अंगूठे के निशान और फोटो से मेल नहीं खाए। राजस्थान स्वास्थ्य और विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारी ने बताया, "हमने लिखित परीक्षा के दौरान सभी परीक्षार्थियों के अंगूठे के निशान लिए थे। काउंसिलिंग के समय सभी के अंगूठे के निशान पूर्व के निशान से मिलाए गए। 40 से अधिक छात्रों के अंगूठों के निशान मेल नहीं खाए।" उन्होंने आगे कहा कि यह संभव है कि बाकी के छात्रों ने भी चेतन की ही तरह ही किसी पेशेवर को अपनी जगह परीक्षा में बैठाने की व्यवस्था की हो। अधिकारी ने कहा, "हम संदिग्ध पाए गए 40 छात्रों की फिर से काउंसिलिंग करेंगे। अगर यह साबित हो गया कि चेतन की तरह इन्होंने भी किसी और की मदद से परीक्षा पास की है तो इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।" अधिकारी ने इस बात से इंकार नहीं किया कि इस रैकेट में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की भी भागीदारी हो सकती है। "हर वर्ष एक ही मकसद से यह घोटाला हो रहा है। पूछताछ के दौरान विक्रम ने स्वीकार किया कि उसने कोटा में प्री मेडिकल और इंजीनियरिंग टेस्ट की कोचिंग की थी।" मेडिकल की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में ऐसी अनियमितता पहली बार नहीं हुई है। वर्ष 2009 से ही इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में वर्ष 2009 में कराए गए प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा में अनियमितता के जरिए उत्तीर्ण होने वाले 16 उम्मीदवारों के विरुद्ध प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का आदेश दिया था। इन छात्रों ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिए जाने की अपील की थी। सबसे हैरानी की बात यह है कि 2009 की इस घटना में छात्रों ने काउंसिलिंग भी पूरी कर ली थी। पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछले तीन सालों से एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। वर्ष 2010 में भी कुछ छात्रों पर इस तरह मेडिकल परीक्षा पास करने को लेकर ऊंगली उठी थी।


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