राफेल पर कांग्रेस ने उठाए नए सवाल, पूछा-हर फैसले 4-3 से कैसे हुए?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वायुसेना की 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत को खारिज करके देश के साथ गलत किया है और इस सौदे की जांच सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से ही हो सकती है.

राफेल पर कांग्रेस ने उठाए नए सवाल, पूछा-हर फैसले 4-3 से कैसे हुए?

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वायुसेना की 126 राफेल लड़ाकू विमानों की जरूरत को खारिज करके देश के साथ गलत किया है और इस सौदे की जांच सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से ही हो सकती है.उन्होंने सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाते हुए यह सवाल भी किया कि जब वायुसेना को 126 विमानों की जरूरत थी तो सरकार सरकार सिर्फ 36 राफेल विमान क्यों खरीद रही है? कांग्रेस नेता ने अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि सरकार प्रति विमान 186 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान कर रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 126 लड़ाकू विमानों की बजाय 36 विमान खरीदने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले की वजह से प्रत्येक विमान की कीमत में 41.42 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई.

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कांग्रेस यह आरोप लगाती रही है कि प्रधानमंत्री ने राफेल सौदे की ‘बेंचमार्क प्राइज' को 5.2 अरब यूरो से बढ़ाकर 8.2 अरब यूरो कर दिया तथा राजग सरकार ने प्रति विमान 1600 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है जबकि संप्रग सरकार के समय प्रत्येक विमान की कीमत 527 करोड़ रुपये तय की गई थी. चिदंबरम ने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा ''अखबार में आए नए तथ्यों और खुलासों के आलोक में, गंभीर और बड़ा सवाल ये है कि सरकार ने 36 राफेल विमान ही क्यों खरीदे, जबकि वायु सेना को 126 विमानों की जरूरत थी?'' उन्होंने आरोप लगाया, ''सरकार ने वायु सेना की 7 स्क्वाड्रन (126 विमान) की सख्त जरूरत को नकार कर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है. देश के साथ गलत किया है."

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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ''राफेल मामले से संबंधित बातचीत के दल ने 4 -3 से फैसला किया. क्या किसी रक्षा सौदे में कभी ऐसा हुआ? ऐसा क्यों हुआ कि इस सौदे से जुड़े हर फैसले सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए 4-3 से किये गए?'' उन्होंने कहा, ''इस मामले की गहन जांच जेपीसी से ही हो सकती है. हम जेपीसी जांच की मांग दोहराते हैं.'' चिदंबरम ने एक सवाल के जवाब में कहा, ''ऑफसेट साझेदार के चयन पर सवालिया निशान है. एचएएल को दरकिनार किये जाने को लेकर सवाल है.

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