उन्होंने कहा, 'राफेल भारत और फ्रांस के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह अगले 40 साल के लिए 'मेक इन इंडिया' सहित अभूतपूर्व औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा।'
ओलांद ने रविवार से शुरू हो रही अपनी यात्रा से पहले न्यूज एजेंसी 'पीटीआई भाषा' को दिए इंटरव्यू में कहा, 'इस बात से सहमत हूं कि सौदे के तकनीकी पहलुओं पर व्यवस्था में समय लगता है, लेकिन हम सही दिशा में जा रहे हैं।'
ओलांद ने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग हमारे सामरिक गठबंधन का हिस्सा है। यह हमारे दोनों देशों के आपसी विश्वास, बेहद मजबूत भरोसे पर आधारित है। भारत और फ्रांस तुरंत उड़ान भरने के योग्य 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रहे हैं। इस बारे में अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान इस सौदे की घोषणा की गई थी।
हालांकि इस सौदे पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है, क्योंकि दोनों पक्ष अब भी इसकी कीमतों को लेकर बातचीत कर रहे हैं। यह करीब 60 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित सौदा है। इस सौदे के बारे में अंतिम क्षणों की वार्ता के लिए फ्रांस का एक उच्च स्तरीय दल अभी भारत आया हुआ है।
पठानकोट आतंकी हमले और भारत में पाकिस्तान से पोषित आतंकी हमले के बारे में एक सवाल के जवाब में ओलांद ने कहा, 'फ्रांस कठोर शब्दों में पठानकोट आतंकी हमले की निंदा करता है। भारत ने ऐसे हमलों को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की उचित मांग की है।'
फ्रांस के राष्ट्रपति ने लिखित इंटरव्यू में कहा, 'भारत और फ्रांस एक तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं। हम पर हत्यारे हमला कर रहे हैं जो धार्मिक आधार पर काम करने का दिखावा करते हैं। उनकी असली मंशा व्यापक घृणा फैलाना है। वे हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और हमारी जीवन पद्धति को कमतर करना चाहते हैं। भारत और फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता को लेकर एकजुट हैं।'
ओलांद रविवार से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। वे गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि होंगे। हाल के दिनों में फ्रांस में हुए आतंकी हमलों के बाद ओलांद की भारत यात्रा के दौरान भी उन पर आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई है।
राफेल सौदे को लेकर संशय
इससे दो दिन पहले अरबों डॉलर के राफेल लड़ाकू विमान सौदे के विषय में खबर आई थी कि सौद को लेकर संशय बरकरार है, क्योंकि फ्रांसीसी राजदूत फ्रांस्वा रिशर ने कहा था कि इस बारे में 'जटिल बातचीत' जारी है। हालांकि राष्ट्रपति ओलांद ने भी तकनीकी पहलुओं पर सहमति बनाने में वक्त लगने की बात कही है, लेकिन वे सौदे को लेकर आश्वस्त भी दिख रहे हैं।
राजदूत रिशर ने दो दिन पहले दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'इस समय बातचीत चल रही है। इसलिए मैं नहीं बता सकता कि इसका परिणाम क्या होगा। उसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। निस्संदेह यह जटिल बातचीत है।'
राजदूत ने कहा 'बिल्कुल, मैं तो आपसे यही कहूंगा कि मैं आशान्वित हूं। लेकिन आशान्वित होने का मतलब यह नहीं है कि हम पूरी तरह निश्चिंत हैं। बहुत ऊर्जा के साथ काम किया जा रहा है।' समझा जाता है कि ओलांद की यात्रा के दौरान एक अंतर-सरकारी रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं, लेकिन अंतिम अनुबंध में समय लगेगा, क्योंकि लागत पर बातचीत जारी है।
उन्होंने कहा, 'चूंकि सरकार से सरकार के बीच बातचीत हो रही है, इसलिए यह एक अंतर-सरकारी समझौता होगा। सब कुछ इसके दायरे में होगा। मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं क्योंकि यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है।' बाद में रिशर ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब यह नहीं था कि अंतर-सरकारी समझौते पर ओलांद की यात्रा के दौरान निश्चित रूप से हस्ताक्षर हो ही जाएंगे।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि मुख्य समस्या लागत के मुद्दे से संबंधित है। समझा जाता है कि 36 विमानों के लिए अंतिम अनुबंध की लागत करीब 60,000 करोड़ रुपये होगी, जिनमें उनकी प्रक्षेपास्त्र प्रणाली और अन्य भी शामिल होंगे। भारतीय पक्ष की ओर से एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया की अगुवाई में लागत संबंधी बातचीत चल रही है।
इस बीच, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा फ्रांस के एमबीडीए के साथ मिलकर संक्षिप्त दूरी की, सतह से हवा में मार करने वाली (एसआर-एसएएम) मिसाइल की सह विकास परियोजना के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा, 'हम इस पर काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा 'बिल्कुल, हमें इस पर भारतीय पक्ष द्वारा निर्णय किए जाने की उम्मीद है। शायद अभी नहीं, लेकिन बाद में...।' छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं। इनके अलावा, और स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के लिए संभावित ऑर्डर के बारे में पूछे जाने पर रिशिर ने कहा, 'फिलहाल हम राफेल पर ही ध्यान दें।'
साथ में भाषा इनपुट