राफेल डील पर राहुल गांधी का हमला तेज, पीएम मोदी और जेटली झूठ बोलना बंद करें, जेपीसी से हो जांच

राफेल डील में कथित घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से मिलेगा.

राफेल डील पर राहुल गांधी का हमला तेज, पीएम मोदी और जेटली झूठ बोलना बंद करें, जेपीसी से हो जांच

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो.

खास बातें

  • राहुल गांधी का राफेल डील पर हमला तेज
  • बोले- झूठ बोलना बंद करें पीएम मोदी और जेटली
  • राफेल डील की कराएं जेपीसी से जांच
नई दिल्ली:

कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राफेल लड़ाकू विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार की स्वतंत्र जांच कराने की मांग को लेकर सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से मिलेगा.पिछले सप्ताह कांग्रेस ने देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से मुलाकात की थी. पार्टी ने कैग से सौदे में कथित अनियमितता पर एक रिपोर्ट तैयार करने और उसे संसद में पेश किये जाने का अनुरोध किया था.कांग्रेस के नेताओं ने रविवार को कहा कि पार्टी इसी तरह का अनुरोध करने के साथ ही इस संबंध में भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करने की मांग करेगी. राफेल मुद्दे पर अपना हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोपनीयता की शपथ का ‘‘उल्लंघन’’ किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि समय आ गया है, अब वित्त मंत्री अरूण जेटली और प्रधानमंत्री "झूठ बोलना बंद करें.’’    इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने सच्चाई सामने लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दिया है.    

जेटली की सफाई
राफेल सौदे में रिलायंस के लिए लॉबिंग करने के आरोप में घिरी मोदी सरकार के बचाव में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर पोस्ट लिखा है. जेटली ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रंस्वा ओलांद के उस बयान सवाल उठाए हैं कि जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने ही रिलायंस का नाम का प्रस्ताव किया था और उस समय कोई दूसरा विकल्प नहीं था. जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि ओलांद ने अब कहा है कि न तो भारत और न ही फ्रांस सरकार की दसॉल्ट द्वारा रिलायंस को भागीदार के रूप में चुनने में कोई भूमिका थी. गौरतलब है कि राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद भारी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था.  ओलांद ने कहा था कि राफेल लड़ाकू जेट निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने आफसेट भागीदार के रूप में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इसलिये चुना क्योंकि भारत सरकार ऐसा चाहती थी. हालांकि, फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के बयान को गलत ठहराया था.   

 वीडियो- 'फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान में विरोधाभास'​

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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