7 मौके, जब मीडिया में छा गए राहुल गांधी - कभी सत्ता को 'जहर' कहा, कभी दिया 'अरहर मोदी' का नारा

आइए उन सात मौकों पर नजर डालते हैं जब राहुल गांधी सुर्खियां बने.

7 मौके, जब मीडिया में छा गए राहुल गांधी - कभी सत्ता को 'जहर' कहा, कभी दिया 'अरहर मोदी' का नारा

2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए पूरा विपक्षी कुनबा राहुल गांधी से उम्मीदें लगाए हुए हैं.

खास बातें

  • सत्ता को जहर बताने वाले राहुल गांधी का पीएम प्रत्याशी को लेकर बयान
  • कहा, पार्टी पीएम प्रत्याशी की जिम्मेदारी देगी तो लेने को तैयार
  • 2014 में कांग्रेस की हार की वजह पार्टी में घमंड को बताया जिम्मेदार
नई दिल्ली:

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आमतौर पर मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं. कम ही ऐसे मौके हैं जब मीडिया में वे सुर्खियां बनते हैं. जब उनकी पार्टी कांग्रेस सत्ता में थी तब भी राहुल गांधी मीडिया से परहेज बरतते रहे. उनके अब तक के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो कम ही मौके हैं जब राहुल गांधी ने कुछ ऐसी बात कही या की जब मीडिया ने उन्हें हाथों-हाथ लिया हो. राहुल गांधी ने पहली बार स्वीकार किया है कि अगर पार्टी उन्हें प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए चुनती है तो वे जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस बयान के बाद राजनीतिक जगत में उनको लेकर एक नई बहस शुरू होना लाजमी है. आइए उन सात मौकों पर नजर डालते हैं जब राहुल गांधी सुर्खियां बने.

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राहुल ने संसद में लिया सूखा पीड़ित कलावती का नाम

साल 2008 की बात है. एक साल बाद यानी 2009 में आम चुनाव होने थे. बीजेपी लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में मोर्चेंबंदी कर रही थी. कांग्रेस फिर से मनमोहन सिंह की अगुवाई में मैदान में उतरने को तैयार थी. इसी चुनाव में राहुल गांधी को भी मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स लांच करने की तैयारी चल रही थी. तभी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी महाराष्ट्र के किसान की आत्महत्या से ग्रस्त विदर्भ के यवतमाल जिले के जालका गांव पहुंचे. यहां राहुल गांधी ने किसान की विधवा और आठ बच्चों की मां कलावती से मिले. कलावती के दो बच्चे पहले ही मर गए थे. राहुल गांधी ने संसद को किसानों की आत्महत्या का दर्द समझाने के लिए कलावती का जिक्र किया. शायद राहुल गांधी का यह पहला ऐसा भाषण था जो मीडिया में लंबे समय तक चर्चा में रहा. राहुल के इस बयान के बाद कलावती कई संस्थाओं की पोस्टर वुमन बन गई. राजनीतिक दलों के बीच उसकी बातें होने लगीं.

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राहुल गांधी मनमोहन सिंह सरकार में पद लेने के लिए हमेशा मना करते रहे.

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भट्टा-पारसौल में मिट्टी ढोते दिखे राहुल

साल 2011 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-2 की सरकार के दो साल हो चुके थे. इन दो साल में सरकार के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके थे. जनता के बीच कांग्रेस की छवि धुमिल होने लगी थी. उसी दौरान दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में जमीन अधिग्रहण के उचित दाम नहीं मिलने को लेकर किसान आंदोलन कर रहे थे. एक साल बाद यानी 2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने थे. इस मौके पर कांग्रेस को किसान हितैषी दिखाने की इरादे से राहुल गांधी अचानक तड़के बाइक से ग्रेटर नोएडा के भट्टा-पारसौल पहुंच गए. यहां वे किसानों के साथ मिट्टी ढोते हुए दिखे. उनकी यह तस्वीर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर लंबे समय तक छाई रही. इस दौरान राहुल गांधी 16 किलोमीटर तक पैदल भी चले.

दागियों के चुनाव लड़ने संबंधी सरकारी अध्यादेश को राहुल ने फाड़ा

भ्रष्टाचार के आरोप में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव अदालत में दोषी ठहरा दिए गए थे. उसी तरह कांग्रेस के रसीद मसूद भी सजा पा चुके थे. भ्रष्टाचार के मामले में फंसे नेताओं के लिए चुनाव लड़ने के रास्ते बहाल रखने के लिए मनमोहन सिंह सरकार अध्यादेश लेकर आई थी. इस अध्यादेश को पारित करने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा गया था. देश को अध्यादेश की अच्छाई बताने के लिए अजय माकन प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. तभी अचानक राहुल गांधी वहां पहुंचे और इस अध्यादेश की कॉपी फाड़ते हुए कहा था-'अध्यादेश पर मेरी राय है कि यह सरासर बकवास है और इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए.' यह वाक्या 2013 का है, तब तक मनमोहन सरकार पर भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके थे. राहुल के इस कदम से उम्मीद थी कि कांग्रेस का भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगों की धारणा बदल सके, क्योंकि ठीक एक साल बाद 2014 में लोकसभा चुनाव होने थे.
 
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कई ऐसे मौके हैं जब राहुल गांधी बिना किसी सूचना के विरोध प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं.

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'मां बोली सत्ता जहर होती है'

साल 2013 में जयपुर में कांग्रेस के नेता 2014 के चुनाव को देखते हुए चिंतन के लिए जुटे थे. कांग्रेस इस अधिवेशन में राहुल गांधी बतौर उपाध्यक्ष पहले भाषण में भावुक हो गए. राहुल ने कहा, 'बीती रात मेरी मां सोनिया गांधी मेरे पास आईं और कहा कि सत्ता जहर के समान है जो ताकत के साथ खतरे भी लाती है।' राहुल ने कहा कि सत्ता पर हर भारतीय का बराबर हक है, ऐसे में सत्ता की चाभी सिर्फ कुछ लोगों के हाथ में क्यों है। इस बयान के बाद राहुल गांधी लंबे समय तक सुर्खियों में बने रहे.

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बजट सत्र में दिखा राहुल का नया रूप

2 मार्च 2016 को बजट सत्र के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, 'सरकार एक नई योजना अनाउंस की. फेयर एंड लवली योजना. इस योजना में हिंदुस्तान का कोई भी चोर अपने कालेधन को सफेद कर सकता है.' विपक्ष के विरोध बाद राहुल ने कहा था, 'अरे बोलने दो भैया, बोलने दो. मोदी जी की फेयर एंड लवली योजना आई है. काले पैसे को आप गोरा कर सकते हो.' इस दौरन राहुल ने कहा था- 'सरकार ने मेक इन इंडिया का बब्बर शेर तैयार किया. जहां देखो वहीं काले रंग का बब्बर शेर. हम पूछते हैं कि बब्बर शेर तो दिखा दिया, रोजगार कितना दिया.'
 
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राहुल गांधी को लेकर बीजेपी हमेशा से हमलावर रही है, लेकिन वे हर मौकों पर करारा जवाब देने से बाज नहीं आते हैं.

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राहुल बोले- अरहर मोदी...:

28 जुलाई 2016 को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में राहुल गांधी महंगाई के मुद्दे पर बोले, 'मोदी जी आपने यूपी में एक भाषण में कहा था. मुझे प्रधानमंत्री नहीं, चौकीदार बनाओ. अब चौकीदार की नाक के नीचे दाल की चोरी हो रही है. मगर चौकीदार चुप है.' राहुल ने आगे कहा, 'चुनाव से पहले घर-घर मोदी का नारा चला था, अब गांव-गांव में एक नया नारा चल रहा है. कस्बों में बच्चा-बच्चा कह रहा है अरहर मोदी...अरहर मोदी...अरहर मोदी.'

'पार्टी जिम्मेदारी देगी तो पीएम प्रत्याशी बनने को तैयार हूं'

12 सितंबर 2017 को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में कहा कि अगर पार्टी उन्हें जिम्मेदारी देगी तो वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने को तैयार हैं. राहुल ने स्वीकार किया कि 2014 में कांग्रेस को घमंड हो गया था, शायद इसलिए हार मिली.

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