यह ख़बर 04 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

विपक्ष ने पूछा, बांग्लाभाषी ही है आम आदमी?

खास बातें

  • संसद में वर्ष 2011-12 के रेल बजट को विपक्षी भाजपा ने आश्वासनों और घोषणाओं से भरा दिशाहीन बजट करार दिया।
नई दिल्ली:

संसद में वर्ष 2011-12 के रेल बजट को विपक्षी भाजपा ने जहां आश्वासनों और घोषणाओं से भरा दिशाहीन बजट करार दिया वहीं सत्तापक्ष ने इसे वास्तविकता और व्यावहारिक धरातल पर मौजूद आम आदमी के बजट की संज्ञा दी। विपक्ष का आरोप था कि रेल बजट को देखकर लगता है कि केवल बांग्ला जानने वाला ही आम आदमी हैं। राज्यसभा में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने रेल बजट को आम आदमी का बजट करार देते हुए कहा कि रेल मंत्री ममता बनर्जी ने यात्री किराये और माल भाड़े में कोई बढ़ोत्तरी न न कर सराहनीय काम किया है। उन्होंने रेल परियोजनाओं को लागू करने की गति को तेज करने का सुझाव भी दिया। रेल बजट पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रेल मंत्री ने अपने बजट में अनेक घोषणाएं और आश्वासन के माध्यम से यह संदेश दिया है कि रेल भवन से कोलकाता की रायटर्स बिल्डिंग तक कैसे पहुंचा जा सकता है। भारतीय रेल के गंभीर स्थिति में पहुंचने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रेल बजट के समय पूरे देश की जनता अपने क्षेत्र के लिए आस लगाए रहती है लेकिन संकीर्ण राजनीति और रेल में आधारभूत ढांचे की उपेक्षा के चलते भारतीय रेल खतरनाक दौर से गुजर रही है। पिछले बजट में विजन-2020 और सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रतिबद्धता जताई गई थी, लेकिन आर्थिक विकास के अभाव में वह पूरी होती नहीं दिखती। घोषित योजनाओं के कार्यान्वयन में गंभीरता के अभाव का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि रेलवे की रफ्तार यदि ऐसी ही रही तो अगले दो दशक तक सरकार की लंबित घोषणाएं पूरी नहीं हो पाएंगी। राज्यसभा में रेल बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के रामचंद्र खुंटिया ने इसे आम आदमी का बजट करार दिया और कहा कि आम लोगों के हित की कई घोषणाएं की गई हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि रेल परियोजनाओं को लागू करने की धीमी गति एक बड़ी समस्या बनी हुई है।


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