रेलवे ट्रैक पर हाथियों को हादसे से बचाने के लिए प्लान "प्लान Bee''का इस्तेमाल

खम्बों पर लगे लाउडस्पीकर से मधुमक्खी की आवाज़ निकलते ही हाथियों का झुंड ट्रैक से भाग खड़ा होता है. नार्थ फ्रंटियर ज़ोन में ये तरीका 46 रेलवे लेवल क्रासिंग पर इस्तेमाल हो रहा है

रेलवे ट्रैक पर हाथियों को हादसे से बचाने के लिए प्लान

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

रेलवे ट्रैक पर हादसों को रोकने को लेकर रेलवे ने  "प्लान बी" तैयार किया है. "प्लान बी" मतलब मधुमक्खियों की आवाज़ के सहारे ट्रैक से हाथियों को दूर भगाने की कवायद है. रेलवे के नार्थ फ्रंटियर ज़ोन ने लाउडस्पीकर में मधुमक्खियों की आवाज़ के सहारे हाथियों को ट्रैक से दूर भगाने का ये नायाब तरीका ईज़ाद किया है. इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ी क्योंकि 2013 से अब तक इस जोन के रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में 70 हाथियों ने जान गंवाई है. 

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खम्बों पर लगे लाउडस्पीकर से मधुमक्खी की आवाज़ निकलते ही हाथियों का झुंड ट्रैक से भाग खड़ा होता है. नार्थ फ्रंटियर ज़ोन में ये तरीका 46 रेलवे लेवल क्रासिंग पर इस्तेमाल हो रहा है और इससे हादसा रोकने में कामयाबी भी मिली है. रेल मंत्रालय के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक राजेश दत्त बाजपेयी ने एनडीटीवी को बताया कि इस तकनीक का प्रयोग हमेशा नहीं होता रहता. जब गाड़ी नहीं आ रही होती है और हाथी ट्रैक से गुजरता है तो  गेटमैन उनको पास करने देते हैं. पर जब गाड़ी आ रही होती है और हाथियों का झुंड लेवल क्रासिंग की तरफ बढ़ता है तो लाउड स्पीकर को एक्टिवेट कर देते हैं. एक्टिवेट करने से जो आवाज़ होती है उसको सुनकर हाथी तेज़ी से दूर हट जाते हैं. 

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जिन हाथियों पर पहले ट्रेन का हॉर्न भी बेअसर होता था. उन पर मधुमक्खी की आवाज़ असर कर रही है. बाजपेई बताते हैं कि नार्थ फ्रंटियर ज़ोन के रंगिया डिवीज़न में ऐसे सबसे ज़्यादा ऐसे क्षेत्र हैं जहां हाथी अक्सर ट्रैक क्रॉस करते हैं. वहां इसको सबसे ज़्यादा लगाया गया है. इसमें महज़ 8-10 हज़ार रुपये का खर्चा आता है. इस इलाके में करीब 5700 हाथी हैं. ऐसे में हाथियों की जान और हादसों पर लगाम लगाने को लेकर इस पहल के शुरुआती परिणाम बेहतर हैं.  

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