कोविड अस्‍पताल आग मामला: SC ने कहा, 'गुजरात सरकार तथ्‍यों को दबाए नहीं, बेहतर हलफनामा दाखिल करे'

SC ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से अनुरोध किया कि वे इस मामले को देखें और उचित रिपोर्ट दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

कोविड अस्‍पताल आग मामला: SC ने कहा, 'गुजरात सरकार तथ्‍यों को दबाए नहीं, बेहतर हलफनामा दाखिल करे'

सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार
  • कहा, आप सिर्फ आयोग नियुक्‍त करके खुश हैं
  • इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी
नई दिल्ली:

गुजरात के राजकोट शहर के कोविड अस्पताल (Covid-19 Hospital) में आग लगने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने गुजरात सरकार (Gujarat government) को फटकार लगाई है. SC ने कहा कि सरकार, राजकोट आग त्रासदी के बारे में तथ्यों को दबाने के प्रयास कर रही है. गुजरात के जवाब से नाखुश कोर्ट ने कहा कि राज्य को तथ्यों को दबाना नहीं चाहिए. सही तथ्यों के साथ एक नया हलफनामा दायर करने का निर्देश देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके अनुसार सब कुछ अच्छा है, लेकिन आपका रुख वायरिंग के बारे में आपके अपने मुख्य विद्युत अभियंता की रिपोर्ट के विपरीत है. आप सिर्फ आयोग नियुक्त करके खुश हैं. इस मामले में गुजरात सरकार बेहतर हलफनामा दाखिल करें. इसके साथ ही SC ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से अनुरोध किया कि वे इस मामले को देखें और उचित रिपोर्टदाखिल  करें. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.राजकोट के कोविड अस्‍पताल में आग लगने के चलते  6 मरीजों की मौत हो गई थी.

कोविड रोगी के घर के बाहर पोस्‍टर लगाए जाने पर लोग उसे अछूत मान लेते हैं : सुप्रीम कोर्ट

पिछली सुनवाई में कोविड अस्पताल में आग लगने के कारण हुई मौतों की घटना पर शीर्ष अदालत ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की और ऐसी घटनाओं पर रोकथाम लगाने में केंद्र व राज्य सरकारों की विफलता पर कड़ी नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि लगातार ऐसी घटनाएं होने के बावजूद इस समस्या को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. SC की बेंच ने कहा था कि यह झकझोर देने वाली घटना है. यह बेहद गंभीर मामला है और पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं और यह सरकारी अस्पतालों के हालात दिखाता है. हम इस मामले में स्वत संज्ञान लेते है. बेंच ने कहा था कि दुर्घटना दिखा रही है कि मौके पर . SC ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है. आपके पास यह सब देखने के लिए कितने फायर ऑफिसर मौजूद हैं? आपके पास अग्नि सुरक्षा मानक तक नहीं हैं. ऐसी घटनाएं राज्य से राज्य और अस्पताल से अस्पताल में दोहराई जा रही हैं. राज्यों की तरफ से इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

कोविड ने न्यायिक कार्यों पर असर डाला, अटके मुकदमे निपटाने के लिए गंभीर प्रयास : सीजेआई

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उन्हें इस घटना की जानकारी है. उन्होंने बेंच को आश्वस्त किया था कि बैठक बुलाई जाएगी और तत्काल कदम उठाए जाएंगे. इस पर पीठ ने कहा कि आप चीफ फायर ऑफिसर से संपर्क कर सकते हैं मेहता ने कहा कि वह इसे लेकर एक कमेटी बनाएंगे. इस पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा था कि हम कमेटी नहीं उचित कदम चाहते हैं. केंद्र का पक्ष रखते हुए, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि कोविड-19 की मौजूदा लहर पहले से अधिक कठोर प्रतीत हो रही है और वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण के 77 प्रतिशत मामले 10 राज्यों से हैं. केंद्र ने दिल्ली में कोविड के बिगड़ते हालात के लिए  केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया हैण्‍ केंद्र ने कहा कि दिल्ली सरकार COVID-19 को रोकने में कदम उठाने में सुस्त रही और दिल्ली सरकार द्वारा उपायों को लागू करने में विफलता के कारण संक्रमण फैला. सुप्रीम कोर्ट ने  दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम में तेजी से मौजूदा समय बढ़ रहे कोविड मामलों के प्रबंधन, मरीजों को सुविधा समेत अन्य व्यवस्थाओं पर स्टेटस रिपोर्ट दो दिन में मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना (Coronavirus) के हालात पर चिंता जताई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दिल्ली में हालात बदतर हो गए हैं. हम जानना चाहते हैं कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है, उस पर विस्तार से हलफनामा दाखिल किया जाए. 

RT-PCR टेस्ट की कीमत घटाने को लेकर SC ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com