किसानों पर जस्टिन ट्रूडो के बयान पर बोले राजनाथ सिंह- 'हमारे आंतिरक मामलों में टिप्पणी का अधिकार नहीं'

राजनाथ सिंह ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के उस बयान पर कड़ा एतराज़ जताया, जब पिछले महीने उन्होंने किसान आंदोलन पर टिप्पणी की थी और कहा था कि 'कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के साथ खड़ा रहेगा.'

किसानों पर जस्टिन ट्रूडो के बयान पर बोले राजनाथ सिंह- 'हमारे आंतिरक मामलों में टिप्पणी का अधिकार नहीं'

जस्टिन ट्रूडो ने गुरुनानक जयंती के मौके पर किसानों को लेकर टिप्पणी की थी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जो उन्होंने पिछले महीने किसान आंदोलन पर दिया था. राजनाथ सिंह ने उनके बयान को  'बाहरी दखल' बताते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी देश के नेता को भारत के आंतरिक मामलों पर नहीं बोलना चाहिए.

न्यूज एजेंसी ANI के साथ हुए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'सबसे पहली बात, किसी भी देश के प्रधानमंत्री को देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. भारत को किसी बाहरी दखल की जरूरत नहीं है. हम अपने मुद्दे खुद सुलझा सकते हैं. यह भारत का आंतरिक मामला है. दुनिया के किसी भी देश को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.'

उन्होंने आगे कहा कि 'भारत कोई ऐसा देश नहीं है, जिसपर कोई भी कुछ कह देगा.' उनसे किसान आंदोलन को लेकर कुछ देशों में हुई आलोचना और जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी पर सवाल किया गया था. उन्होंने कहा कि 'किसान भाइयों को गुमरहा करने की कोशिशें हुई हैं' और फिर वही हो रहा है. उन्होंने किसानों से इन कृषि कानूनों के एक-एक क्लॉज पर चर्चा करने का आग्रह किया और कहा कि सरकार किसानों के हितों के खिलाफ जाकर कोई फैसला नहीं करेगी.

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बता दें कि जस्टिन ट्रूडो ने पिछले महीने किसान आंदोलन को लेकर चिंता जताई थी. गुरुनानक जयंती पर एक कनेडियन सांसद की ओर से आयोजित किए गए एक फेसबुक वीडियो इंटरैक्शन में उन्होंने कहा था कि 'कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के साथ खड़ा रहेगा.'

अमेरिका में भी कुछ सांसदों ने किसानों के लिए अपना समर्थन दिया था.

ट्रूडो के बयान के बाद भारत ने कनाडा के राजदूत को समन किया था और कहा था कि ट्रूडो और कुछ कनेडियन सांसदों के बयान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. भारत ने विदेशी नेताओं की ओर से की गई टिप्पणियों को 'आधी-अधूरी जानकारी वाला और अनचाहा' बताते हुए कहा था कि यह उसका आंतरिक मुद्दा है.

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