राज्यसभा में नरेश अग्रवाल ने पूछा सवाल- क्या 2000 के नोट छपने बंद हो गए हैं?

काफी समय से खबरें हैं कि 200 रुपये के नोट की छपाई के चलते 2000 के नोट की छपाई रोक दी है.

राज्यसभा में नरेश अग्रवाल ने पूछा सवाल- क्या 2000 के नोट छपने बंद हो गए हैं?

नरेश अग्रवाल ने पूछा 2 हजार के नोट को लेकर सवाल

खास बातें

  • क्या 2000 के नोट की छपाई बंद हो गई है
  • सरकार रुख स्पष्ट करे : नरेश अग्रवाल
  • जेटली ने रुख साफ नहीं किया
नई दिल्ली:

2000 के नोटों को लेकर राज्यसभा में सवाल उठे हैं. समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने आज सरकार से सवाल किया कि क्या 2000 के नोट छपने बंद हो गए हैं. दरअसल, काफी समय से खबरें हैं कि 200 रुपये के नोट की छपाई के चलते 2000 के नोट की छपाई रोक दी है. राज्यसभा में नरेश अग्रवाल ने पूछा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोट की छपाई बंद कर दी है. वहीं जेडीयू के नेता शरद यादव ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि सरकार दो हजार रुपये के नोट के छापने की स्थिति को स्पष्ट करे नहीं तो जनता में अफवाह फैल जाएगी. हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस पर अपना रुख साफ नहीं किया.

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इससे पहले खबर आई थी कि नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की ज़ोरदार मांग को पूरा करने के लिए जल्द ही भारत में 200 रुपये का नोट भी नज़र आने लगेगा. केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक, यानी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने नोट छापे जाने का ऑर्डर दे दिया है. हालांकि 200 रुपये के इस नोट के डिज़ाइन को लेकर आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें पहले से चल रही हैं. रबीआई ने 200 रुपये के नोट छापने का फैसला वित्त मंत्रालय से विचार-विमर्श के बाद कथित रूप से मार्च में किया था. सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों में छापे जा रहे इन नोटों को क्वालिटी और सुरक्षा के लिहाज़ से कई तरह की जांच से गुज़रना पड़ रहा है.

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उल्लेखनीय है कि 2016 में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक घोषणा कर दी थी कि उसी रात 12 बजे से उस समय तक प्रचलन में रहे 1,000 तथा 500 रुपये के नोट बंद हो जाएंगे, और इस घोषणा से देशभर में चल रही 85 फीसदी नकदी खत्म हो गई थी. कर चोरों की धरपकड़ के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम के बाद प्रतिबंधित नकदी को बैंकों में जमा कराने तथा नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों तथा एटीएम पर अभूतपूर्व तरीके से लम्बी-लम्बी लाइनें लगी रही थीं.


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