यह ख़बर 11 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

खुद पर रखी जा रही निगरानी को धता बताने में सफल रहा राम सिंह

खास बातें

  • 16 दिसंबर की रात राजधानी में चलती बस में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी तिहाड़ जेल की कड़ी सुरक्षा वाली सेल में अपने पर रखी जा रही निगरानी को धता बताकर आत्महत्या करने में सफल हो गया। उसे न तो कैदी देख पाए और न ही उस पर नजर रखने
नई दिल्ली:

16 दिसंबर की रात राजधानी में चलती बस में एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले का मुख्य आरोपी तिहाड़ जेल की कड़ी सुरक्षा वाली सेल में अपने पर रखी जा रही निगरानी को धता बताकर आत्महत्या करने में सफल हो गया। उसे न तो कैदी देख पाए और न ही उस पर नजर रखने के लिए तैनात गार्ड देख पाया।

राम सिंह ने अपने कपड़ों की मदद से जेल नंबर तीन की अपनी सेल में ग्रिल से लटक कर सोमवार की सुबह फांसी लगा ली। उसके इस कदम से उस पर नजर रखने वाले जेल अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।

जेल सूत्रों का कहना है कि सिंह जेल नंबर तीन की सेल में अकेला नहीं था।

उन्होंने कहा कि राम सिंह पर नजर रखने के लिए उसकी सेल के बाहर एक गार्ड तैनात किया गया था, लेकिन सेल के भीतर हो रही घटना को वह भी नहीं देख पाया। अन्य कैदी जो सोए हुए थे, उन्हें भी इस बारे में पता नहीं चला कि सिंह खुद को फांसी लगा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट घटना की जांच करेंगे।

सिंह के अलावा मामले के चार अन्य आरोपियों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही थी। इन कैदियों के एक-दूसरे से बातचीत बंद किए जाने के बाद जनवरी से ही इसे लेकर सतर्कता बरती जा रही थी कि ये कैदी आत्महत्या जैसा कदम उठा सकते हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने तिहाड़ जेल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बहुत ‘‘स्तब्ध करने वाली’’ बात है कि प्रशासन विचाराधीन कैदी की रक्षा नहीं कर सका। उन्होंने मामले की जांच की मांग की। ममता ने कहा, ‘‘तिहाड़ पर सवालिया निशान है।’’

तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक किरण बेदी ने कहा कि यह केवल जांच से ही पता चलेगा कि उस पर किस तरह की विशेष निगरानी रखी जा रही थी और उस निगरानी का क्या हुआ। ‘‘इस व्यक्ति ने इस निगरानी को कैसे चकमा दे दिया? मेरा मानना है कि हमें जांच के नतीजे का इंतजार करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जहां कैदी उम्मीद खो देता है और उसे महसूस होता है कि उसके पास बचने का कोई अवसर नहीं है तो वह जेल में अपना जीवन खत्म करने के अवसर तलाशता है। जांच से ही पता चलेगा कि उस पर किस तरह की ई-निगरानी या मानवीय निगरानी रखी जा रही थी।’’ किरण ने उल्लेख किया कि घटना की खबर की हर किसी को जानकारी थी और आरोपी जेल के भीतर तथा बाहर सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां एक छोटी सी सेल में एक व्यक्ति है और संभवत: वह तभी तक जीवित रहेगा जब तक उस पर नजर रखी जाती है। जैसे ही वह इस निगरानी को धता बताएगा, उसे फंदे से बचने का मौका मिल सकता है।’’

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किरण ने कहा, ‘‘इसलिए मेरा मानना है कि उसने जो किया है, ऐसे मामले जेल के लिए बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण हैं। अत्यंत सतर्कता बरतना और इलेक्ट्रॉनिक तथा मानवीय निगरानी रखना जेल की बड़ी भारी जिम्मेदारी होती है।’’