यह ख़बर 23 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

आईआईटी, आईआईएम के शिक्षकों पर बिफरे रमेश

खास बातें

  • जयराम रमेश ने कहा कि ये संस्थान विश्व स्तरीय नहीं हैं और वे विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण ही उत्कृष्ट हैं।
New Delhi:

पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सोमवार को देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) के शिक्षकों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ये संस्थान विश्व स्तरीय नहीं हैं और वे विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण ही उत्कृष्ट हैं। रमेश ने एक कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से कहा, आईआईटी के जरिये बमुश्किल ही कोई महत्वपूर्ण शोध आ पाता है। आईआईटी में शिक्षक विश्व स्तरीय नहीं हैं। आईआईटी में जाने वाले विद्यार्थी विश्व स्तरीय हैं। लिहाजा, आईआईटी और आईआईएम उनके शिक्षकों या शोध की गुणवत्ता के कारण नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की गुणवत्ता के कारण उत्कृष्ट हैं। गौरतलब है कि रमेश खुद भी आईआईटी मुंबई के छात्र रह चुके हैं। रमेश ने कहा कि भारत सरकारी तंत्र के चलते विश्व स्तरीय शोध केंद्र विकसित नहीं कर पाता। उन्होंने गुजरात के जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम के साथ विश्वस्तरीय राष्ट्रीय समुद्री जैव विविधता केंद्र की स्थापना करने के अपने मंत्रालय के फैसले को भी जायज ठहराया। जामनगर में रिलायंस की बड़ी तेल रिफाइनरी है। रमेश ने कहा कि मंत्रालय ने यह फैसला इसलिये किया क्योंकि सरकारी तंत्र में विश्वस्तरीय शोध केंद्र की स्थापना नहीं की जा सकती और अगर स्थापना हो भी जाये तो उसमें युवाओं को आकर्षित नहीं किया जा सकता। रिलायंस के सहयोग से शोध केंद्र स्थापित करने पर हितों का टिकराव होने की बात से रमेश ने इनकार किया। उन्होंने कहा, हम सरकारी व्यवस्था में विश्व स्तरीय शोध केंद्र की स्थापना नहीं कर सकते। हम बीते 60 वर्ष के अनुभव से इस बात को समझ सकते हैं कि सरकारी शोध संस्थान युवा प्रतिभाओं को आकर्षित नहीं कर सकते। रमेश ने कहा कि यही कारण है कि हमें अलग नजरिए से सोचने की जरूरत है। जामनगर में शोध केंद्र सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर स्थापित होगा।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com