यह ख़बर 10 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रमेश ने हजारे के पत्र पर दिया तीखा जवाब

खास बातें

  • पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने लवासा परियोजना को लेकर अन्ना हजारे के सोनिया गांधी को लिखे पत्र के जवाब में कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
नई दिल्ली:

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने पुणे के पास लवासा परियोजना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र के जवाब में कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि उनके मंत्रालय ने इस परियोजना को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। रमेश ने 8 जुलाई को हजारे को लिखे पत्र में कहा है, मैं आपका ध्यान कुछ बातों की ओर दिलाना चाहता हूं। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस लवासा परियोजना को कार्यालय पत्रक के जरिये मंजूरी प्रदान नहीं की है। इस परियोजना को अभी तक औपचारिक एवं अंतिम पर्यावरणीय मंजूरी नहीं दी गई है। पत्र में कहा गया है, मंत्रालय ने पर्यावरणीय मंजूरी देने पर विचार करने से पहले पांच शर्तें पूरी होने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि मंत्रालय के इस कदम के बारे में गत 30 जून को महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर सूचना दे दी है। परियोजना को पर्यावरणी मंजूरी देने से पहले राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई भी एक शर्त है। रमेश ने आदर्श सोसाइटी इमारत को गिराने के आदेश देने तथा लवासा परियोजना के प्रति दोहरे मानक अपनाने के हजारे के आरोप पर कहा, आदर्श और लवासा परियोजना के बीच तुलना नहीं की जा सकती। इसलिए दोहरे मानक अपनाने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा, आदर्श सोसायटी तटवर्ती नियामक उल्लंघन का मामला है। तटवर्ती नियामक मंजूरी एक विशिष्ट क्षेत्र के लिए दी जाती है। वहीं लवासा पर्यावरणीय उल्लंघन का मामला है। हजारे ने सोनिया को लिखे अपने पत्र में उनसे अनुरोध किया था कि वह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश दें कि वह लवासा मामले में कानून के उल्लंघन की जांच करे। उन्होंने आरोप लगाया था कि राजनीतिक दबाव में सरकार लवासा के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके साथ ही हजारे ने लवासा मामले से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना की थी।


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