देश के 14वें राष्ट्रपति बनने जा रहे रामनाथ कोविंद का बचपन बेहद गरीबी में बीता. वह मूल रूप से कानपुर देहात की डेरापुर तहसील में स्थित परौख गांव से ताल्लुक रखते हैं. यहां के ग्रामीणों के मुताबिक घास-फूस की झोपड़ी में उनका परिवार रहता था. कोविंद के साथ कक्षा आठ तक पढ़े उनके सहपाठी जसवंत ने NDTV को बताया कि जब उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी. मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया.
गांव में अभी भी उनका दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है. ग्रामीणों के मुताबिक कोविंद 13 साल की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढ़ने जाते थे. कानपुर के कल्याणपुर स्थित महर्षि दयानन्द विहार कॉलोनी भी उनका घर है. जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई थी तो यहां बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजाकर और आतिशबाजी के जरिये जश्न मनाया था.
मिठाई से परहेज
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के जनसंपर्क अधिकारी रहे अशोक द्विवेदी ने बताया था कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं. कोविंद की पसंद-नापसंद के बारे में उन्होंने बताया कि वह अंतर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं. उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं.