रवीश कुमार की 53वीं बार स्थानांतरित अधिकारी अशोक खेमका से बातचीत, कहा- हाशिये में रखकर दंडित किया

खेमका ने कहा- ट्रांसफर में थोड़ी पारदर्शिता बरती जाए, अधिकारी के एप्टीट्यूट के अनुसार उसकी पोस्टिंग की जाए तो प्रजा का भला होगा

खास बातें

  • खेमका ने कहा- हर तबादला कुछ ना कुछ सिखाकर जाता है
  • तबादला प्रक्रिया का एक विधान है, उससे अलग नहीं हट सकते
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीन साल का मिनिमम टेन्योर होगा
नई दिल्ली:

हरियाणा कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी अशोक खेमका (Ashok Khemka) का 53वीं बार तबादला कर दिया गया है. हरियाणा सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ नौकरशाह अशोक खेमका को इस बार अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभागों का प्रधान सचिव बनाया है. इस संदर्भ में अशोक खेमका से एनडीटीवी के रवीश कुमार ने बात की. खेमका ने कहा, 'हर तबादला कुछ ना कुछ सिखाकर जाता है. कोई भी तबादला बगैर वजह के नहीं होता, उसके पीछे कोई न कोई वजह होती है. अगर आपको अक्टूबर 2012 की बात याद हो, तो कुछ तबादलों में आपको हाशिये पर रख दिया जाता है. शायद ये उसी चीज का परिचायक है कि आपको हाशिये में रखकर दंडित किया गया है.'

अजय खेमका ने कहा कि ''हर तबादला कुछ ने कुछ सिखा जाता है और कुछ न कुछ वजह से होता है. कुछ तबादले होते हैं कि आपको हाशिये में रख दिया जाता है. कुछ आप ऐसा काम करते हैं कि दंडित करने के लिए आपको हाशिये में रखा जाता है. यह उसी चीज का परिचायक है कि आपको हाशिये में रखकर दंडित किया गया है.''

उन्होंने कहा कि ''तबादले की जो प्रक्रिया है, उसका एक विधान है, उससे आप अलग नहीं हट सकते हैं. और सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन हैं. आईएएस काडर रूल्स का विधान है कि आपका जो भी तबादला होगा वह सिविल सर्विसेज बोर्ड की संस्तुति से होगा. दूसरा नियम है कि आपको दो साल का मिनिमम टेन्योर दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में यही दो बातें फिर से दोहराई थीं. कोर्ट ने कहा था कि तीन साल का मिनिमम टेन्योर होगा.''

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अशोक खेमका ने कहा कि ''सारे नियम कायदे हैं लेकिन ट्रांसफर में थोड़ी पारदर्शिता बरती जाती..अधिकारी के एप्टीट्यूट के अनुसार उसकी पोस्टिंग की जाए तो प्रजा का भला होता है. किसी मछली को पेड़ पर चढ़ाकर कहा जाए कि तुम उड़ो, तो ठीक नहीं. और यदि किसी ने किसी के व्यक्तिगत हित पूरे नहीं किए तो उसका ट्रांसफर किया जाए तो वह भी ठीक नहीं है.''

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हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका (Ashok Khemka) का इससे पहले इसी साल मार्च में खेमका ट्रांसफर करते हुए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया था. करीब 27 साल के करियर में 53वीं बार तबादले पर अशोक खेमका का दर्द छलक पड़ा. बुधवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''फिर तबादला. लौटकर फिर वहीं. कल संविधान दिवस मनाया गया. आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया. कुछ प्रसन्न होंगे. अंतिम ठिकाने जो लगा, ईमानदारी का इनाम जलालत.''

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गौरतलब है कि अशोक खेमका (Ashok Khemka) गुरुग्राम में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे से जुड़ी जांच के कारण सुर्खियों में रहे हैं. कहा जाता है कि अशोक खेमका जिस भी विभाग में जाते हैं, वहीं घपले-घोटाले उजागर करते हैं, जिसके चलते अक्सर उन्हें ट्रांसफर का दंश झेलना पड़ता है. वह भूपिंदर सिंह हुड्डा के शासनकाल में भी कई घोटालों का खुलासा कर चुके हैं.

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अशोक खेमका का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से 1988 में बीटेक किया और बाद में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी किया. उन्होंने एमबीए भी कर रखी है.  बता दें कि नवंबर 2014 में तत्‍कालीन हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के लैंड डील से जुड़े खुलासे के बाद खेमका का तबादला परिवहन विभाग में कर दिया था, जिसको लेकर काफी हो-हल्ला मचा था और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठे थे.