खास बातें
- शुक्रवार को प्राइम टाइम में रवीश ने माइम कलाकारों को शो में आमंत्रित किया
- रवीश का पूछा गया सवाल 'बागों में बहार है' ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा
- यह शो सत्ता द्वारा सवाल पूछने पर आपत्ति उठाए जाने पर केंद्रित था
बाग़ों में बहार है - 70 के दशक में बनी सुपरहिट फिल्म 'आराधना' का यह गीत एक बार फिर गुनगुनाया जा रहा है. इसके पीछे की वजह कोई रिमेक गाना नहीं है बल्कि शुक्रवार को एनडीटीवी इंडिया पर प्रसारित हुआ रवीश कुमार का शो 'प्राइम टाइम' है जिसमें सवाल ही ये था कि जब सवाल नहीं पूछे जाएंगे तो क्या करेंगे?
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बता दें कि सरकार द्वारा एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का बयान लगाए जाने के बाद प्राइम टाइम में दो माइम कलाकारों के साथ यह समझने की कोशिश की गई थी कि जब सरकार को सवालों से समस्या होने लगे तो फिर किस तरह के सवाल सत्ता को खुश करेंगे - जैसे बाग़ो में बहार है? आप बनियान कौन से ब्रांड की पहनते हैं? या आप खाते कितनी बार हैं दिन में? फूल कौन सा पसंद करते हैं, धतूरे का या कनेल का?
रवीश ने अपने शो में दो माइम कलाकारों को आमंत्रित किया था जिसमें एक अथॉरिटी और दूसरा उनका लठैत था. अथॉरिटी और लठैत बने ईशु और राजेश निर्मल ने अपना रोल बखूबी निभाया. रवीश के द्वारा अपने शो में इस्तेमाल की गई यह लाइन इतनी बार ट्वीट की गई कि शनिवार को कुछ ही घंटों यह लाइन ट्रेंड करने लगी और कुछ समय पहले यह वर्ल्डवाइड पांचवे स्थान पर और भारत में पहले स्थान पर ट्रेंड करने लगी थी.
इस कार्यक्रम के बाद से सोशल मीडिया पर एक सवाल की बहार है जो है - बाग़ों में बहार है?
बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी के द्वारा कवरेज किए गए पठानकोट हमले पर सवाल उठाते हुए नोटिस भेजकर यह हिदायत दी है कि 9 नवंबर के दिन एनडीटीवी इंडिया का प्रसारण एक दिन के लिए स्थगित किया जाए. एनडीटीवी का जवाब है कि ये दुखद है कि सिर्फ़ एनडीटीवी को इस तरह निशाना बनाया गया जबकि सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. वास्तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है. इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है.