निजी चैनल के बैनर को लेकर रवीश ने की टिप्पणी, कहा- रवीश का टाइम कभी खत्म नहीं होने वाला 

उन्होंने कहा कि रवीश का टाइम का खत्म नहीं हो सकता है. आपको हजारों ईनाम मिल जाएंगे. आपकी टीआरपी सौवें माले पर चढ़ जाएगी तब भी रवीश की जरूरत रहेगी.

नई दिल्ली:

ENBA अवॉर्ड शो के दौरान एनडीटीवी के रवीश कुमार ने माहौल में जहर फैलाने वाले मीडियाकर्मियों को लेकर विशेष टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम समाज में जहर न घोलें. उन्होंने इस दौरान एक निजी न्यूज चैनल के उस बैनर को लेकर भी टिप्पणी की जिसमें लिखा था कि 'रवीश का टाइम अब नहीं रहा प्राइम'. उन्होंने कहा कि रवीश का टाइम कभी खत्म नहीं हो सकता है. आपको हजारों इनाम मिल जाएंगे. आपकी टीआरपी सौवें माले पर चढ़ जाएगी तब भी रवीश की जरूरत रहेगी. पत्रकारिता में आम आदमी हमेशा किसी रवीश जैसे को ढूंढेगा. गौरतलब है कि शनिवार को NDTV इंडिया को बेस्ट न्यूज चैनल ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. ENBA अवॉर्ड्स 2018 में इसकी घोषणा की गई. इस मौके पर NDTV इंडिया के रिपोर्टर सौरभ शुक्ला को यंग प्रोफेशनल ऑफ द ईयर (एडिटोरियल हिंदी) चुना गया. NDTV इंडिया की तरफ से यह पुरस्कार लेने के लिए रवीश कुमार के साथ-साथ NDTV इंडिया की पूरी टीम मौजूद थी.

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इस मौके पर रवीश कुमार ने इस अवॉर्ड के लिए चुने जाने पर सभी का धन्यवाद करते हुए कहा था कि हमें ऐसे माहौल में उन्माद की भाषा के इस्तेमाल से बचने की जरूरत है. इस पेशे का उसूल यही है कि हम काम करते हुए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि न तो खुद भावनाओं में बहेंगे और न ही किसी को उकसाएंगे. रवीश कुमार ने कहा कि आप सब जब यहां से जाएंगे तो अपने अपने ट्वीट को पढ़िएगा. मैं मजा खराब नहीं करना चाहता लेकिन आप चैनल वालों ने सच में हिन्दुस्तान का मजा खराब कर दिया है. जो भाषा और जिस तरह से काम चल रहा है पिछले पांच साल से आज या कल जब कोई दस साल बाद यू-ट्यूब के तहखाने में जाकर ढूंढेगा कि इस समय कौन क्या कर रहा था तब पता चलेगा कि कोई एनडीटीवी भी था जो भीड़ नहीं बन रहा था. न हम भीड़ बन रहे थे न हम भीड़ बना रहे थे. उन्होंने कहा कि मैं भाषण नहीं दे रहा हूं. मैंनें पहले भी कहा कि आज टीवी का पर्दा जो है वह बहुत तरीकों की चुनौतियों से गुजर रहा है. बिजनेस की चुनौतियां हैं उसकी.

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रवीश कुमार ने कहा कि जनता को आपसे बहुत उम्मीदें हैं. हम यूं ही घटना से पहले या घटना के बाद भी गांवों और घरों से जुड़े रहते हैं. हमें मालूम है कि उन घरों से आने वाले सीआरपीएफ के जवानों के मां-बाप पर क्या गुजरी है. हम इस घटना की भावना से नहीं बोल रहे हैं लेकिन उनकी तकलीफ को हमने लंबे समय से कवर किया है. इसलिए हम कहते हैं कि अगर आपके जज्बातों में ईमानदारी है तो अर्धसैनिक बल के पेंशन की लड़ाई लड़ लीजिए. वह ठेले वाले, टैंपू वाले, किसान और मजदूरों के घर से आते हैं. वह आ रहे हैं तीन मार्च को और अपनी-अपनी राष्ट्रभक्ति का इम्तिहान दे दीजिए. और ट्वीट करियेगा कि पीएम जी हम आपका भाषण बाद में सुन लेंगे लेकिन पहले आप इनको पेंशन दे दीजिए.

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उन्होंने आगे कहा कि रवीश का टाइम कभी खत्म नहीं हो सकता है. आपको हजारों अवॉर्ड मिल जाएंगे लेकिन कभी रवीश खत्म नहीं होगा. पत्रकारिता में हर आम आदमी कभी न कभी कोई न कोई रवीश ढूंढेंगे. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि हम आपस में यह जहर न घोलें और न अपनी आदत से जनता के बीच दर्शकों के बीच सनक की हवा की तेज करें. यह हमारी जिम्मेदारी है. उन्होंने ज्यूरी का शुक्रिया भी किया.