रघुराम राजन बोले- अगर हर आलोचक को सरकारी अधिकारियों से कॉल आता रहा तो...

रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने ज़ोर देकर कहा कि सत्ता में शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को आलोचना को बर्दाश्त करना ही होगा.

रघुराम राजन बोले- अगर हर आलोचक को सरकारी अधिकारियों से कॉल आता रहा तो...

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन.

नई दिल्ली:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन  का कहना है कि शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को आलोचना को सहन करना चाहिए, और उन्होंने एक ब्लॉग में चेताया है कि आलोचनाओं को दबाते रहने से नीतिगत गलतियां शर्तिया होंगी.

रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने यह भी कहा है कि सिर्फ आलोचना ही वह रास्ता है, जिसकी वजह से सरकार सुधारात्मक नीतिगत कदम उठाती है. जाने-माने न्यायविद तथा उदारवाद के अग्रणी पैरोकार ननी पालकीवाला की उपलब्धियों को याद करते हुए RBI के पूर्व गवर्नर ने लिखा, "हर प्रत्येक आलोचक को सरकारी अधिकारी की ओर से फोन पर पीछे हटने के लिए कहा जाएगा, या सत्तासीन दल की ट्रोल आर्मी का निशाना बनाया जाएगा, तो बहुत-से लोग अपनी आलोचना का सुर नीचा कर लेंगे, उसे हल्का कर लेंगे... ऐसे में सरकार तब तक सब कुछ अच्छा-अच्छा दिखने वाले माहौल में वक्त बिता सकेगी, जब तक कड़वी सच्चाई को सचमुच अनदेखा नहीं किया जा सकेगा..."

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उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सत्ता में शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को आलोचना को बर्दाश्त करना ही होगा.

रघुराम राजन ने कहा, "निस्संदेह, कुछ आलोचनाएं, जिनमें मीडिया में की जा रही आलोचनाएं भी शामिल हैं, गलत जानकारी पर आधारित होती हैं, खास मकसद से की जाती हैं, पद के स्थान पर व्यक्ति के खिलाफ होती हैं... निश्चित रूप से पिछली नौकरियों के दौरान मेरे खिलाफ भी ऐसा हुआ है... बहरहाल, आलोचनाओं को दबाते रहना नीतिगत गलतियों का रामबाण नुस्खा है..."

वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में फाइनेंस के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रघुराम राजन ने कहा कि लगातार की जाने वाली आलोचना से सुधारात्मक नीतिगत कदम उठाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा, "जो सरकारें सार्वजनिक आलोचना के स्वर को दबा देती हैं, वह अपना ही भारी नुकसान करती हैं..."

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रघुराम राजन के इन विचारों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से रतिन रॉय तथा शमिका रवि को मोदी सरकार द्वारा हटाया जाना है, जिन्हें कथित रूप से इसलिए हटाया गया, क्योंकि वे सरकार की नीतियों की आलोचना किया करते थे.

ब्रुकिंग्स इंडिया में डॉयरेक्टर ऑफ रिसर्च शमिका रवि तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के निदेशक रतिन रॉय ने सॉवरेन बॉन्डों (sovereign bonds) के ज़रिये विदेशी बाज़ारों से राशि जुटाने के सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किए थे.

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इससे पहले, रघुराम राजन भी विदेशी सॉवरेन बॉन्डों के ज़रिये राशि जुटाने के परिणामों को लेकर सरकार को चेता चुके हैं.

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