75 और 100 रु. के चेक बांटने के बाद जागी यूपी सरकार, कहा, किसानों को 1500 रुपये से कम का मुआवजा नहीं

लखनऊ:

बेमौसम बारिश और ओलों से तबाह फसलों के मुआवज़े के नाम पर मिले 75 और 100 रुपये के चेक वापस लिए जाएंगे। मीडिया में मामले के तूल पकड़ने के बाद यूपी सरकार ने ऐलान किया है कि किसी भी किसान को डेढ़ हज़ार से कम मुआवज़ा नहीं मिलेगा। प्रति व्यक्ति कम से कम 750 रुपये का मुआवज़ा तय है, जिसे यूपी सरकार ने दोगुना कर दिया है।

किसानों के साथ किस तरह मजाक हो रहा है, इसका नमूना उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में देखने को मिला। वहां कई किसानों को 75 और 100 रुपये के चेक मिले हैं। इतने में तो किसी ढाबे में एक आदमी का एक वक्त का खाना भी न हो।

यह मामला सामने आने पर यूपी सरकार ने ऐलान किया है कि किसी भी किसान को डेढ़ हज़ार से कम मुआवज़ा नहीं मिलेगा।

केंद्र के पुराने नियम से असिंचित इलाके में मुआवजा 4500 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित में 9000 रुपये प्रति हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर में चार बीघा यानी 80 कट्ठे होता है। इस तरह एक बीघा का मुआवजा सिंचित में 1225 रुपये हुआ। अगर रेवेन्यू रिकॉर्ड में एक बीघे में पांच मालिक हैं तो हर एक को मुआवजे के 225 रुपये मिले। यूपी सरकार इसका दोगुना दे रही है, लेकिन शायद इससे ज्यादा रकम तो मुआवजा बांटने में खर्च हो रही होगी।

 

फैजाबाद के वाजिदपुर गांव में किसानों के साथ हुए इस खिलवाड़ पर अधिकारी भी अपनी गलती मान रहे हैं। उप जिलाधिाकरी अशोक कुमार सिंह का कहना है कि फसलों के नुकसान के सर्वे के लिए लेखपालों की टीम लगाई गई थी। हो सकता है कि सर्वे में कहीं चूक हो गई हो।

उन्होंने कहा कि हमारे पास लेखपालों की हस्ताक्षर की हुई रिपोर्ट है। कब्रिस्तान की जमीन को खेती योग्य जमीन दिखाकर दिए गए चेकों की जांच कराई जाएगी।

इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने फैजाबाद के वाजिदपुर गांव का दौरा कर मामले की पूरी जानकरी ली और दोषी अधिकारियों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की।

वाजपेयी ने कहा, गांव में नायब तहसीलदार या लेखपाल कोई नहीं आया। नियम के अनुसार, मुआवजे के नाम पर कम से कम 750 रुपये मिलने चाहिए। गांव में प्रधान का कब्रिस्तान है, जिसमें खेती नहीं होती। इस जमीन पर भी आठ लोगों का चेक बना दिया गया है।

वाजपेयी ने बताया कि जिस जमीन पर खेती नहीं होती, उनके मालिकों के नाम पर भी चेक जारी किए गए। इस खेल में शामिल नायब तहसीलदार, पटवारी तहसीलदार, कानूनगो, उप जिलाधिकारी व जिलाधिकारी के खिलाफ  कार्रवाई होनी चाहिए।

(इनपुट्स एजेंसी से भी)


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