नौकरी में आरक्षण मामले पर SC के फैसले के खिलाफ दर्ज हुई पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है. लिहाजा कोई भी अदालत राज्य सरकारों को एससी-एसटी को आरक्षण देने का निर्देश नहीं दे सकती है.

नौकरी में आरक्षण मामले पर SC के फैसले के खिलाफ दर्ज हुई पुनर्विचार याचिका

नौकरी में आरक्षण मामले पर SC ने शुक्रवार को फैसला सुनाया था.

नई दिल्ली:

सरकारी सेवाओं में SC/ ST के तहत पदोन्नति में आरक्षण के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका को भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद और शाहीन बाग के बहादुर अब्बास नकवी ने दाखिल किया है. इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है. लिहाजा कोई भी अदालत राज्य सरकारों को एससी-एसटी को आरक्षण देने का निर्देश नहीं दे सकती है. यह पूरी तरह से राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर है कि उन्हें आरक्षण या पदोन्नति में आरक्षण देना है कि नहीं देना है. इसलिए राज्य सरकारें इसको अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं.

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारें जब आरक्षण देना चाहती हैं तो सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए डेटा जुटाने को बाध्य हैं. अदालत ने कहा कि SC/ST के पक्ष में आरक्षण प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 16 के प्रावधान इसको सक्षम बनाते हैं और राज्य सरकारों के विवेक में निहित होते हैं. 

पीठ ने उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के पदों पर पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण से संबंधित मामलों को एक साथ निपटाते हुए ये व्यवस्था दी. उच्च न्यायालय ने राज्य को एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व के संबंध में पहले मात्रात्मक डेटा एकत्र करने और फिर कॉल करने का निर्देश दिया था  जबकि उत्तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था.

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