गणतंत्र दिवस पर यह सब हुआ पहली बार : फाइटर प्लेन तेजस की 780 KMPH रफ्तार ने दर्शकों को चौंकाया

गणतंत्र दिवस पर यह सब हुआ पहली बार : फाइटर प्लेन तेजस की 780 KMPH रफ्तार ने दर्शकों को चौंकाया

आसमान की तरफ निहारते हुए पीएम नरेंद्र मोदी...

खास बातें

  • एनएसजी कमांडो पहली बार परेड का हिस्सा बने.
  • यूएई का दस्ता भी पहली बार परेड का हिस्सा बना
  • इसके साथ देसी धनुष तोप पहली बार यहां दिखी
नई दिल्ली:

68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कई चीजें पहली बार परेड में शामिल की गईं. जैसे यूएई का दस्ता पहली बार परेड का हिस्सा बना. यूएई से परेड में हिस्सा लेने के लिए 144 जवान आए थे. पिछले साल फ्रांस की आर्मी ने परेड में हिस्सा लिया था. इसके साथ देसी धनुष तोप पहली बार यहां दिखी. जबलपुर की गन कैरिज फैक्टरी द्वारा निर्मित 155 मिमी की इस तोप की लागत 14.50 करोड़ रुपये है. यह भारत द्वारा 1980 के दशक में खरीदे गए बोफोर्स तोपों का उन्नत रूप है. टी-90 भीष्म टैंकों, इंफैंटरी कॉम्बैट व्हीकल बीएमपी -2के, वेपन लोकेटिंग रडार स्वाति, सीबीआरएन रीकान्सन्स व्हीकल को भी परेड में शामिल किया गया.

वहीं नेशनल सिक्योरिटी गार्ड यानी एनएसजी पहली बार परेड का हिस्सा बने. इससे पहले एनएसजी रिपब्लिक डे की सुरक्षा का हिस्सा थे. (गणतंत्र दिवस की तस्वीरें)

इसमें सबके आकर्षण का केंद्र देश का हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निग एंड कंट्रोल सिस्टम (एईडब्ल्यू एंड सी) रहा. आसमान में बदली छाए रहने के बावजूद 300 मीटर की ऊंचाई पर 780 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरकर तीन लड़ाकू जेट विमानों ने राजपथ पर दर्शकों को हैरत में डाल दिया.

इससे पहले एलसीए ने पिछले साल भारतीय वायु सेना दिवस पर भी उड़ान भरी थी. इसने आईएएफ की प्रदर्शनी आयरन फर्स्ट, एयरो इंडिया और बहरीन अंतरराष्ट्रीय एयरशो में भी अपनी ताकत दिखाई थी. (पूरी खबर पढ़ें)
 

nsg


एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा विकसित और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. द्वारा प्रस्तुत स्वदेशी निर्मित तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो 1,350 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ने की क्षमता रखता है और इसकी तुलना फ्रांस के मिराज 2000, अमेरिकन एफ-16 और स्वीडन के ग्रिपेन सहित विश्व के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों से की जाती है. तेजस को जुलाई 2016 में भारतीय वायुसेना के 45वें स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था। विमानों की संख्या को मौजूदा आठ से बढ़ाकर प्रतिवर्ष 16 करने की योजना है.

(इनपुट्स एजेंसी से भी)

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