यह ख़बर 22 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बारिश की आशंका के चलते राहत अभियान में झोंके तमाम संसाधन

खास बातें

  • शांतिकाल में रक्षा बलों के विशालतम राहत एवं बचाव अभियान में उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे 10 हजार और लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि 22 हजार लोग अब भी वहां फंसे हुए हैं। अब तक कुल 70 हजार लोगों को बचाया जा चुका है।
नई दिल्ली:

शांतिकाल में रक्षा बलों के विशालतम राहत एवं बचाव अभियान में उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे 10 हजार और लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि 22 हजार लोग अब भी वहां फंसे हुए हैं। अब तक कुल 70 हजार लोगों को बचाया जा चुका है।

इस अभियान में सेना, वायु सेना, आईटीबीपी, बीआरओ और एनडीआरएफ के जवान युद्धस्तर पर अपने तमाम संसाधन झौंके हुए हैं, वक्त कम है क्योंकि मौसम विभाग ने सोमवार और मंगलवार को ताजा बारिश की भविष्यवाणी की है और बारिश आने के बाद राहत और बचाव कार्यों में बाधा आना लाजिमी है।

बारिश और बाढ़ से बुरी तरह तबाह हुए राज्य में सैटेलाइट फोन के कुछ और सेट भेजे जा रहे हैं ताकि लोग अपने परिजन से संपर्क करके अपनी खैरियत की खबर दे सकें। इन फोन के जरिए राहत और बचाव अभियान में लगी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित हो सकेगा।

आईटीबीपी के उप महानिरीक्षक (अभियान) आस्टिन ऐपेन ने बताया कि 25 सैटेलाइट फोन आईटीबीपी, आईएएफ, बीआरओ और एनडीआरएफ को दिए गए हैं। 50 और फोन देर रात कांगो से दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है।

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राज्य सरकार द्वारा शाम पांच बजे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति को प्रदान किए गए आंकड़ों के अनुसार आपदा में अब तक 557 लोगों की मौत हुई है और 412 घायल हैं। सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यह जानकारी देते हुए बताया, ‘यह आंकड़े अस्थायी हैं... और बढ़ सकते है।’ हालांकि देहरादून में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने देर शाम एक संवाददाता सम्मेलन में मरने वालों का आंकड़ा 680 होने की बात कही। उनका कहना था कि केदारनाथ मंदिर परिसर से 123 शव और मिलने के बाद मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा 680 पर पहुंच गया है।