यह ख़बर 24 अक्टूबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रेवती रमण सिंह के सम्मन पर हाई कोर्ट का स्थगन

खास बातें

  • हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सपा सांसद रेवती रमण सिंह को 2008 के वोट के बदले नोट मामले में भेजे गए सम्मन पर 15 नवम्बर तक रोक लगा दी।
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को निचली अदालत द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रेवती रमण सिंह को 2008 के वोट के बदले नोट मामले में भेजे गए सम्मन पर 15 नवम्बर तक के लिए रोक लगा दी है। निचली अदालत ने सांसद को तीन नवम्बर को पेश होने को कहा था। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा, "15 नवम्बर को अगली सुनवाई होने तक निचली अदालत की कार्यवाही रोक दी जाए।" वोट के बदले नोट मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने पिछले हफ्ते दिल्ली पुलिस को रेवती रमण सिंह को भी इस मामले में आरोपी बनाने के लिए कहा था। अदालत ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं जो यह दिखाते हैं कि सांसद आपराधिक साजिश में शामिल थे। लोकसभा में विश्वास मत के दौरान 22 जुलाई 2008 को भारतीय जनता पार्टी के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, महावीर भगोरा और अशोक अर्गल ने नोटों की गड्डियां लहराते आरोप लगाया था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पक्ष में मत देने के लिए उन्हें यह पैसे दिए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाने के बाद सबसे पहले अमर सिंह के पूर्व सचिव संजीव सक्सेना की गिरफ्तारी हुई। उसके बाद सुहैल हिंदुस्तानी और पूर्व सांसदों कुलस्ते एवं भगोरा की गिरफ्तारी हुई।


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