स्मृति ईरानी के मंत्रालय ने जेएनयू को रैंकिंग में दिया तीसरा स्थान, कन्हैया ने बताया 'बेतुका'

स्मृति ईरानी के मंत्रालय ने जेएनयू को रैंकिंग में दिया तीसरा स्थान, कन्हैया ने बताया 'बेतुका'

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

पिछले दिनों यह सवाल बार-बार पूछा जाता रहा कि जेएनयू जैसी जगहों पर जनता के पैसे से क्या पढ़ाई होती है? इसका जवाब अब खुद भारत सरकार ने दे दिया है। उसकी अपनी रिपोर्ट में जेएनयू देश में नंबर वन यूनिवर्सिटी है। शिक्षा संस्थानों में वह तीसरे नंबर पर है।

जेएनयू देश का सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालय
पिछले कुछ दिनों में जेएनयू की छवि कुछ ऐसी बनाई गई जैसे वहां छात्रों को बस देशद्रोह सिखाया जाता है। लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी इंडिया रैंकिंग 2016 बताती है कि जेएनयू अब भी देश का सबसे बेहतर विश्वविद्यालय है। इस लिस्ट में सबसे ऊपर आईआईएससी बेंगलुरु  और इंस्टीट्यूट ऑफ कैमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई हैं। जबकि तीसरे नंबर पर जेएनयू है। यानी विश्वविद्यालयों में सबसे ऊपर। रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद विवादों से घिरी हैदराबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी को चौथे नंबर पर आंका गया है।

प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थानों में आईआईटी मद्रास एवं आईआईएम बेंगलुरु अव्वल
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में शीर्ष पर हैं जबकि आईआईटी मद्रास एवं आईआईएम बेंगलुरु प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थानों में अव्वल हैं। सरकार की पहली घरेलू रैकिंग में इन संस्थानों को शीर्ष स्थान दिया गया है। प्रौद्योगिकी संस्थानों में आईआईटी मुंबई को दूसरा स्थान मिला है जबकि इसके बाद आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी दिल्ली एवं आईआईटी कानपुर का स्थान है। मणिपाल कॉलेज आफ फार्मेसी देश के फार्मेसी शिक्षण संस्थानों में सबसे आगे है।

रैंकिंग में चार श्रेणियों की साढ़े तीन हजार संस्थाएं शामिल
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा जारी राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा (एनआईआरएफ) में चार श्रेणी के 3500 विभिन्न संस्थाओं को शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय श्रेणी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु (जो एक मानद विश्वविद्यालय है) को शीर्ष रैकिंग वाला संस्थान माना गया है जबकि रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी) मुंबई का स्थान इसके बाद है। विशेषज्ञों की समिति ने इस रैंकिंग के लिए जिन कारकों को चुना उनमें छात्रों, पूर्व छात्रों, अभिभावकों, कर्मचारियों एवं जनता के बीच धारणा प्रमुख है। शिक्षण एवं अध्ययन संसाधन, शिक्षा परिणाम, अनुसंधान आदि अन्य कारक हैं।

दुनिया में बेहतर बनने के लिए बदलना होगा पाठ्यक्रम
इसकी घोषणा करते हुए मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, "अगर हमें दुनिया की दस सबसे बेहतरीन शैक्षणिक संस्थानों की सूची में आना है तो हमें अपना पाठ्यक्रम बदलना होगा और उन्हें वर्लक्लास बनाना होगा।"  उन्होंने कहा कि इस बात का प्रयास है कि रैकिंग प्रणाली को वार्षिक आधार पर निकाला जाए तथा और श्रेणियों को जोड़ा जाए ताकि छात्र दाखिला लेने से पहले संस्थान के बारे में जान सकें।

जेएनयू को बदनाम करने की कोशिश गलत
जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के लिए यह सर्वे एक बड़ी राहत की बात है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अजय पटनायक ने एनडीटीवी से कहा, "हमें पहले से इस बात का विश्वास था कि हम नंबर वन हैं। जेएनयू में 70 फीसदी बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं। इसलिए जेएनयू एक "inclusive" संस्था होने के बावजूद नंबर वन बना है। जेएनयू को बदनाम करने की कोशिश की गई जो गलत था।"

जेएनयू की रैंकिंग में तीसरा स्थान 'बेतुका'
देशद्रोह के आरोपों में पिछले दिनों गिरफ्तार किए गए जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार कहा है कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जेएनयू को रैंकिंग में तीसरा स्‍थान दिया जाना 'बेतुका' है। कन्हैया ने कहा, 'यह बेतुका लगता है क्‍योंकि एक तरफ तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय हमारी स्‍वायत्तता पर हमला करता है और दूसरी तरफ हम उसी को लेकर रैंकिंग में तीसरे नंबर पर भी हैं।'

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हाल में जिन विश्वविद्यालयों के को लेकर सबसे ज्यादा विवाद हुए, जिनके कामकाज पर सवाल उठाया गया आज उन्हीं विश्वविद्यालयों को देश के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों की लिस्ट में शामिल किया गया है। अब यह उम्मीद करना चाहिए कि यूनिवर्सिटी को लेकर राजनीति बंद होगी।
(इनपुट भाषा से भी)