खास बातें
- राइट टू फूड बिल अगले सत्र में पेश किया जाना है लेकिन सरकार को अभी तक साफ़ नहीं है कि कितने लोगों और किनको इसका फ़ायदा देना है।
नई दिल्ली: राइट टू फूड बिल अगले सत्र में पेश किया जाना है लेकिन सरकार को अभी तक साफ़ नहीं है कि कितने लोगों और किनको इसका फ़ायदा देना है। इसकी शुरुआत हुई योजना आयोग के एफिडेविट के बाद। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण इलाके में रहनेवाले गरीबों के लिये 25 रुपये और शहरी इलाकों में रहने वालों के लिये 32 रुपये खाने स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए काफी हैं। इस एफिडेविट के बाद काफी बवाल मचा और पैनल पर सीलिंग वापस लेने का दबाव पड़ने लगा और उसके बाद से फाइल एक दफ़्तर से दूसरे दफ़्तर घूम रही है और तमाम नए नए प्रस्ताव सरकारी दफ़्तरों में चक्कर काट रहा है।