अब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने पर होगी सुनवाई, 5 जजों की बेंच करेगी फैसला

आधार कार्ड के संबंध में मामला 5 जजों की आधार बेंच के पास भेजा है. 

अब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने पर होगी सुनवाई, 5 जजों की बेंच करेगी फैसला

अब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने पर होगी सुनवाई (प्रतीकात्मक फोटो)

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट में आधार को जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने पर फैसला होगा
  • पांच जजों की पीठ इस बाबत फैसला लेगी
  • राइट टू प्राइवेसी को कोर्ट ने मौलिक अधिकार माना
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड से जुड़े निजता के अधिकार (Right To Privacy) पर गुरुवार को बेहद अहम फैसला दिया और उसे मौलिक अधिकारों का हिस्सा घोषित कर दिया. इसी के अगले कदम के तहत अब बेंच यह फैसला करेगी कि आधार कार्ड के विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए या नहीं. आधार कार्ड के संबंध में मामला 5 जजों की आधार बेंच के पास भेजा है. 

नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्त जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है. अब आधार पर 5 जजों की बैंच सुनवाई करेगी. वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने इस बाबत कहा कि देश किस दिशा में जाएगा अब इस फैसले से तय होगा.

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याचिकाकर्ता और मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है और कहा है कि ये अनुच्छेद 21 के तहत आता है. आधार कार्ड को लेकर कोर्ट ने कोई फैसला नहीं लिया है. पिछले महीने की आखिर में राइट टू प्राइवेसी के मामले में नौ जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आधार के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कोई मजबूत मैकेनिज्म है?  

दरअसल 1950 में 8 जजों की बेंच और 1962 में 6 जजों की बेंच ने कहा था कि 'राइट टू प्राइवेसी' मौलिक अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ में CJI जेएस खेहर, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस AR बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस अभय मनोगर स्प्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

पढ़ें- संविधान पीठ का सवाल- क्या आधार डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए मजबूत मैकेनिज्म है?

कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार डाटा जमा करने पर कोर्ट ने कहा...
कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार का डाटा जमा कर रहा है, लेकिन यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि डाटा सुरक्षित रहे. क्या कोर्ट प्राइवेसी की व्याख्या कर सकता है? आप यही कैटलॉग नहीं बना सकते कि किन तत्वों से मिलकर प्राइवेसी बनती है. प्राइवेसी का आकार इतना बड़ा है कि ये हर मुद्दे में शामिल हैं. अगर हम प्राइवेसी को सूचीबद्ध करने का प्रयास करेंगे तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे. 

वीडियो- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों का हिस्सा


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं थीं. कोर्ट ने 7 दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था.


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