हताश हो रहे हैं RJD के नेता, पार्टी के क्रियाकलापों से नाखुश रघुवंश प्रसाद ने लालू यादव को लिखी चिट्ठी

राष्ट्रीय जनता दल (RJD)में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा. इसका संकेत खुद पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं  रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी ने दिया. रघुवंश नारायण सिंह ने जहां पार्टी सुप्रीमो लालू यादव, रबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को पत्र लिख कर पार्टी के कार्यकलाप के बारे में चिंता ज़ाहिर की है

हताश हो रहे हैं RJD के नेता, पार्टी के क्रियाकलापों से नाखुश रघुवंश प्रसाद ने लालू यादव को लिखी चिट्ठी

आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद ने लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखी है

पटना:

राष्ट्रीय जनता दल (RJD)में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा. इसका संकेत खुद पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं  रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी ने दिया. रघुवंश नारायण सिंह ने जहां पार्टी सुप्रीमो लालू यादव, रबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को पत्र लिख कर पार्टी के कार्यकलाप के बारे में चिंता ज़ाहिर की है तो वहीं शिवानंद तिवारी ने उनका समर्थन किया है.  लालू यादव को लिखे एक पत्र में रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बहाल  करने के अलावा पार्टी को और अधिक आक्रामक बनाने का सुझाव दिया है. लेकिन पत्र को पढ़ने से दो बातें साफ़ होती हैं, एक वो राज्य इकाई की कमान संभाल रहे जगदानंद सिंह के कार्यशैली से ख़ुश नही हैं. दूसरा तेजस्वी यादव की राज्य की राजनीति से अनुपस्थिति पर भी उन्होंने अपना नाराज़गी सार्वजनिक की है.

रघुवंश ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि राज्य सरकर को घेरने के लिए ना कोई ढंग का बयान दिया जाता हैं और ना संवादाता सम्मेलन आयोजित किया जाता है. दरअसल जब से जगदानंद सिंह बिहार आरजेडी के अध्यक्ष बने हैं उनकी कार्यशैली से कई छोटे बड़े नेता ख़ुश नही हैं. उनकी बात करने की और कार्यकर्ताओं को डांटने की आदत से भी कई नेता नाराज़ चल रहे हैं.

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वहीं जगदानंद सिंह ने पार्टी के सहयोगियों के प्रति रवैया भी किसी को रास नहीं आ रहा है. उनका मानना है कि नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए का आरजेडी फ़िलहाल अकेले मुक़ाबला नहीं कर सकती. रघुवंश सिंह के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी कहा कि ये सच है कि  आरजेडी में लालू जी की समझ वाला कोई क़द्दावर नेता नहीं है.  लेकिन कई नेताओं का कहना है कि असल दोषी तेजस्वी यादव हैं जिनके ऊपर सारी ज़िम्मेदारी देने के बावजूद वो सही समय में ज़मीन पर ग़ायब दिखते है. तेजस्वी अपनी राजनीति को ट्वीटर तक सीमित रखकर अपने दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं का विश्वास खोते जा रहे हैं.