नीतीश कुमार की भाषा पर बोले शिवानंद तिवारी, "क्या सता रहा हैं सत्ता जाने का डर..."

"2015 में अपनी सत्ता बचाने के लिए तेजस्वी के बाप की ही शरण में हो गए थे. उसके बाद की कहानी सबको मालूम है. "

नीतीश कुमार की भाषा पर बोले शिवानंद तिवारी,

शिवानंद तिवारी आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

पटना:

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) का कहना हैं कि कुर्सी जाने की आशंका ने नीतीश जी (Nitish Kumar) को असंतुलित कर दिया है.शिवानंद तिवारी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि तेघरा की चुनावी सभा में उनका एक अलग रूप देखने को मिला है. जिस तरह की भाषा का वे उस सभा में इस्तेमाल कर रहे थे, वैसी भाषा बिहार या देश ने उनके मुंह से इसके पहले कभी नहीं सुनी थी. सबसे ज्यादा चिंता प्रकट करने वाली बात यह है कि वे अपने समर्थकों को ललकार रहे थे, और कह रहे थे कि इनको सबक सिखा देना है. इसका क्या नतीजा निकल सकता है इसका उनको एहसास था या नहीं!

आरजेडी नेता ने अपने बयान में कहा, "शास्त्रों में कहा गया है की सत्ता का नशा अफीम के नशे से भी ज्यादा नशीला होता है. जिस तरह अफीम के नशे का आदि व्यक्ति को जब अफीम नहीं मिलती है तो वह बिल्कुल छटपटाने लगता है. उस हालत में वह कुछ भी कर सकता है. पंद्रह वर्षों से नीतीश जी लगातार सत्ता में हैं. उनको भान हो गया है की उनकी सत्ता अब जाने वाली है. इस आशंका ने उनको असंतुलित कर दिया है. अपने समर्थकों में वे उन्माद पैदा कर रहे थे."

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तिवारी ने आगे कहा, "इनके मुकाबले तेजस्वी अभी तक के अपने चुनावी अभियान में कभी अशालीन नहीं दिखाई दिए. अपने एजेंडा से बाहर नहीं गए. नीतीश जी तेघड़ा की सभा में जब तेजस्वी के 'बाप' का जिक्र कर रहे थे तो शायद वे विस्मरण का शिकार हो गए थे..."

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आरजेडी ने कहा कहा, "2015 में अपनी सत्ता बचाने के लिए तेजस्वी के बाप की ही शरण में हो गए थे. उसके बाद की कहानी सबको मालूम है. नीतीश जी को नहीं भूलना चाहिए कि उनका असंतुलन उनको सत्ता से बेदखल करने में ही और ज्यादा सहायक होगा.."

क्यों बिगड़ रही है नीतीश कुमार की भाषा ?
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