यह ख़बर 23 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

डीयू में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर घमासान जारी, वाइस चांसलर पर हो सकती है कार्रवाई

नई दिल्ली:

यूजीसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के चार साल के अंडर ग्रैजुएट कोर्स में छात्रों को पब्लिक नोटिस जारी कर एडमिशन न लेने की सलाह दी है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि डीयू के वाइस चांसलर पर सरकार कार्रवाई कर सकती है। सरकार की ओर कहा जा रहा है कि यूपीए सरकार ने संसद को गुमराह किया था। डीयू में चार वर्षीय कोर्स को न तो यूजीसी ने मान्यता दी थी और न ही इसे राष्ट्रपति से मंजूर करवाया गया था। वहीं, डीयू का कहना है कि इस कोर्स को उसके एकेडिमिक काउंसिल ने पास किया था, जिसके बाद इसे दिल्ली में लागू किया गया था।

वहीं, डूटा के पूर्व अध्यक्ष एएऩ मिश्रा ने मीडिया को संबोधित करते हुए इस मसले को विश्वविद्यालय की स्वायत्तता से जोड़ दिया और कहा यह डीयू की स्वायत्तता पर हमला है। राष्ट्रपति  से कोर्स के अनुमोदन न लेने के सरकार के तर्क के विपरीत उनका कहना है कि यदि राष्ट्रपति एक महीने के भीतर विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूर नहीं करते हैं, या किसी नकारात्मक टिप्पणी के साथ वापस नहीं भेजते हैं तब वह स्वत: लागू समझा जाता है।

यूजीसी ने सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल को भी चिट्ठी लिखकर तीन साल के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में ही एडमिशन देने को कहा है। इससे पहले यूजीसी ने डीयू को चार साल के कोर्स को वापस लेने को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय को अल्टीमेटम भेजा है।

मानव संसाधन मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और यूजीसी के बीच जारी जंग में वह दखल नहीं देगा। उसका कहना है कि यूजीसी का आदेश मानने के लिए विश्वविद्यालय बाध्य हैं।

यूजीसी के मुताबिक, अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो डीयू को दिए जा रहे अनुदान और डिग्री की मान्यता खत्म की जा सकती है।

इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज सेंट स्टीफंस कॉलेज ने दाखिला रोक दिया है। कॉलेज प्रशासन ने कहा है कि डीयू और यूजीसी के बीच चल रहे विवाद के खत्म होने के बाद की कोई लिस्ट जारी होगी हालांकि कॉलेज में सेलेक्शन प्रक्रिया चलती रहेगी।

दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी में चार साल का स्नातक कोर्स खत्म करने के यूजीसी के निर्देश का कई छात्र और शिक्षक संगठनों ने स्वागत किया है। इनका कहना है कि चार साल के कोर्स का फैसला वाइस चांसलर की तानाशाही का नतीजा था और अब यूजीसी के निर्देश के बाद लोगों की जीत हुई है।

डीयू छात्र संघ के अध्यक्ष ने इस कदम को सराहनीय बताते हुए एक विजय रैली निकालने की बात कही है। वे लोग मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी से मिलकर उनको धन्यवाद ज्ञापन देंगे। छात्र संगठनों ने डीयू प्रशासन से जल्द से जल्द चार साल के स्नातक कोर्स को वापस लेने की मांग की है। कुछ छात्र संगठनों ने डीयू के वाइस चांसलर से इस्तीफा भी मांगा है। वहीं आज इस मुद्दे का कोई हल निकालने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक होनी है।

एक नजर यूजीसी की आपत्तियों पर
-यह राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है। 10+2+3 का पालन नहीं हुआ।
-लागू करने से 6 महीने पहले मानव संसाधन मंत्रालय और यूजीसी से मंजूरी नहीं ली गई।
-केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इस बड़े बदलाव के लिए राष्ट्रपति से अनुमति नहीं ली।

वहीं डीयू की दलील है कि
-10+2+3 का पालन करते हैं। डिग्री का चौथा साल वैकल्पिक है।
-यूजीसी से मंजूरी ली गई थी, लेकिन मंजूरी 6 महीने की अवधि के बाद ली गई।
-डीयू नियमों के तहत एकेडमिक और कार्यकारी परिषद से मंजूरी ली गई थी।

क्या है विवाद
डीयू के मुताबिक, चार साल के डिग्री प्रोग्राम में चौथा साल वैल्किपक है। छात्र चाहें तो तीन साल में डिग्री ले सकते हैं। मगर पेच यह है कि तीन साल में छात्र ऑनर्स की डिग्री नहीं ले सकता है। इसके लिए चौथे साल की पढ़ाई करना अनिवार्य है।

रद्द की जाएगी मान्यता
उधर, यूजीसी के मुताबिक, अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो डीयू को दिए जा रहे अनुदान और डिग्री की मान्यता खत्म की जा सकती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा है कि हमारे निर्देशों को न मानना यूजीसी अधिनियम 1956 का उल्लंघन माना जाएगा।

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आगे क्या होगा
4 साल के पाठक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों के जो तीन साल बचे हैं उनके विषयों को अगले दो साल में पढ़ाया जाएगा ताकि वे तीन साल में पढ़ाई पूरी करके डिग्री ले सकें। इस फैसले से 64,000 छात्र प्रभावित होंगे।