मोहन भागवत ने कहा- 130 करोड़ हिंदू कहने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं

मोहन भागवत ने कहा, 'जब आरएसएस का कोई कार्यकर्ता कहता हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं.

मोहन भागवत ने कहा- 130 करोड़ हिंदू कहने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं

सर संघ संचालक मोहन भागवत

खास बातें

  • कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा कि सभी 130 करोड़ भारतीय हिंदू है
  • हिंदू कहने का यह मतलब नहीं कि हम किसी का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं
  • केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले जता चुके हैं भागवत के ऐसे बयानों से अहसमति
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघ संचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर भारत को हिंदू राष्ट्र बताते हुए कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म या जाति बदलना चाहते हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'जब आरएसएस का कोई कार्यकर्ता कहता हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं. हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं. क्योंकि हम संविधान पर विश्वास करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन भावना क्या है? वह भावना है- यह देश हमारा है. हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा. इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं.' बता दें, मोहन भागवत इससे पहले भी भारत के 130 करोड़ लोगों को हिंदु बता चुके हैं. हालांकि उनके इस बयान केंद्र भाजपा सरकार में मंत्री रामदास अठावले ही असहमति जताते हुए नजर आए थे. 

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा था कि वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस बात से सहमत नहीं हैं कि भारत में रहने वाले सभी 130 करोड़ लोग हिंदू हैं. भागवत ने गुरुवार को हैदराबाद में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की पूरी आबादी को हिंदू समाज मानता है, चाहे उनका धर्म और संस्कृति कुछ भी हो.

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इसके बाद एनडीए के घटक दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख और दलित नेता आठवले ने कहा था कि वह भागवत के बयान से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा था, ‘अगर यह कहा जाए कि आरएसएस हर किसी को भारतीय मानता है (हिंदू के बदले) और हम सभी एकजुट हैं तो मैं समझ सकता हूं. हिंदू बहुसंख्यक समुदाय है, लेकिन बौद्ध, मुस्लिम, ईसाई, जैन, दलित, पिछड़ा वर्ग भी हैं. हम सब एक हैं और भारतीयों के रूप में एकजुट हैं.'