आंखों देखा हाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्रकारों से दिवाली मिलन

आंखों देखा हाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्रकारों से दिवाली मिलन

दीवाली मिलन कार्यक्रम में पत्रकारों से घिरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी के मीडिया सेल की तरफ आयोजित दिवाली मिलन समारोह के आमंत्रण के बीच ठीक 12 बजे 9 अशोका रोड के अंदर जाने वाला द्वार बंद हो चुका था। अंदर से लाउडस्पीकर से आवाज बहार आ रही थी, लेकिन द्वार के बाहर कुछ सीनियर पत्रकार अंदर जाने के लिए सुरक्षा अधिकारियों से द्वार बंद करने की वजह पूछ रहे थे। पत्रकारों को हैरत हो रही थी कि प्रधानमंत्री द्वारा पत्रकारों से मिलन पर कुछ इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। तभी अचानक मीडिया सेल के अशोक के आगमन के बाद अंदर जाने की अनुमति मिली।

देश भक्ति के गीत बजे
अंदर का माजरा गहमा-गहमी भरा था। देशभक्ति के गानों ने पत्रकारों को मंत्रमुग्ध कर रखा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन में थोड़ी देर थी। लगभग पार्टी के सभी प्रवक्ताओं के साथ पदाधिकारी भी मंच पर लगी कुर्सियों पर विराजमान थे। मंच के ठीक बगल में लगा टीवी भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय कार्यालय में प्रधानमंत्री के आगमन से पहले की सीधी तस्वीरें प्रसारित कर रहा था। मंच के सामने लगी कुर्सियों पर पत्रकार बैठकर प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का इंतजार कर रहे थे। पहली पंक्ति पर पार्टी नेतओं ने कब्ज़ा कर रखा था।

भाजपा नेताओं ने किया स्वागत
अचानक टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमित शाह दिखे। लाइन में लगे नेताओं  ने बारी-बारी से गुलदस्ता  देकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। अब पूरा काफिला मंच पर आ चुका था। प्रधानमंत्री, अध्यक्ष के अलावा वित्तमंत्री अरुण जेटली , रोड एंड ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गटकरी ,शहरी विकास मंत्री वेंकैय्या नायडू सहित संगठन मंत्री राम लाल मंच पर मौजूद थे। राष्ट्रीय सचिव एवं  मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा  ने स्वागत करने के लिए नेताओं के नामों की घोषणा की। प्रवक्ताओं की पूरी टीम ने एक के बाद एक गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया।

असमानता दूर करता है दीप पर्व
अमित शाह और उसके बाद नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में दिवाली की मुबारकबाद पेश करते हुआ कहा कि हमारे समाज में उत्सव अपने आप में एक बहुत बड़ी ताक़त हैं, जो समाज को गति देते हैं और नई उमंग भी देते हैं। हमारे उत्सवों  के सामाजिक, आर्थिक पहलुओं की अगर समीक्षा की जाए जो अच्छी स्टोरी निकल सकती है। हमारे यहां जब कुम्भ मेला होता है तब हर दिन गंगा के किनारे पर यूरोप का एक छोटा देश इकट्ठा होता है। इतनी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। व्यवस्थाएं समाज के द्वारा बनती हैं, खड़ी होती हैं और चलती भी हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने उत्सवों के द्वारा समाज में नित नई चेतना देने का प्रयास किया है। दीप पर्व भी उसी का एक अंग है। इसमें भेदभाव भी नहीं होते हैं। असमानता का भाव दूर होता है। अच्छा है इस बहाने आप से मिलने का अवसर मिलता है।

सेल्फी के लिए आपाधापी
भाषण खत्म होते ही नरेंद्र मोदी पत्रकारों से मिलने मंच से नीचे उतरे। अभी वे कुछ पत्रकारों से मिल पाए थे कि कुछ पत्रकार सेल्फ़ी लेने के लिए आगे बढ़े। फिर शुरू हुआ आपाधापी का दौर। सुरक्षा कर्मियों के बीच मोदी चल रहे थे और पत्रकार उनके घेरे को तोड़ते हुए उनके साथ सेल्फ़ी खीचने में सफल भी हो रहे थे। जहां सुरक्षा कर्मी पत्रकारों को रोकते और प्रधानमंत्री जी की नजर उन पर पड़ती, तो वे इशारे से उन्हें रोक देते।

मिस्टर मोदी मैं धक्का-मुक्की में नहीं आ सकती...
सेल्फी का सिलसिला चल ही रहा था कि एक महिला पत्रकार ने तेज आवाज में कहा " मिस्टर मोदी इस धक्का-मुक्की में मै नहीं आ सकती। क्या एक तस्वीर  मेरे साथ भी हो सकती है।"  इस आवाज़ ने उनके कदम रोक दिए। उन्होंने  पलटकर आने के लिए कहा और सुरक्षा अधिकारियों को बीच  से चीरते हुए जाकर सेल्फी खींचा। हैरत की बात तो यह है कि मोदी ने उस महिला पत्रकार से मोबाइल कैमरे को सीधा कर फोटो खीचने को कहा।  प्रधानमंत्री का सुरक्षा काफिला उनको पंडाल से बहार की तरफ ले गया।

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इसके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, अरुण जेटली, नितिन गटकरी , संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद,  मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी सहित कई बड़े नेता खाने के टेबल पर पत्रकारों से गुफ्तगू करने में मशगूल हो चुके थे।