सुप्रीम कोर्ट में शेरो-शायरी के बीच सहारा प्रमुख को मिली तीन महीने मोहलत

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

''रोज की यह जंग है, कहीं कटी पतंग है! मौका मिला फिर भी लगा रास्ता तो तंग है।'' यह शेर सहारा चीफ सुब्रत राय के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनाया तो सहारा की अर्जी सुन रही बेंच के जस्टिस एके सीकरी ने भी शायरी में ही इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, ''दर्द की यूं आदत हो गई है! जिस दिन दर्द न मिले तो भी दर्द सा होता है।''

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा मामले की सुनवाई के दौरान ऐसे ही शायराना माहौल में कोर्ट ने सहारा प्रमुख को 90 दिन का वक्त देते हुए कहा है कि वह अपनी संपत्तियों को बेचने के लिए फाइनल प्रपोजल देने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि सहारा के पास यह आखिरी मौका है।

इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम भी कोर्ट में मिराच कैपिटल कंपनी की तरफ से खड़े हुए और कहा कि कंपनी सहारा की संपत्ति खरीदने को तैयार है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ सहारा की बात से मतलब रखते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश में सहारा को जेल से डील करने के लिए मिलने वाली सुविधाओं को भी तीन महीने बढ़ा दिया है। साथ ही एंबी वेली योजना में से 600 एकड़ जमीन बेचने की इजाजत भी दे दी है।

मामले की सुनवाई के दौरान माहौल उस वक्त भी हल्का हो गया, जब कपिल सिब्बल ने कहा कि आप जानते हैं कि प्रॉपर्टी के रेट गिर गए हैं। इस पर जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि हमें नहीं पता। सुप्रीम कोर्ट रियल एस्टेट का काम नहीं करता। ना हम प्रॉपर्टी बेचते हैं, ना खरीदते हैं।

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गौरतलब है कि निवेशकों के रुपये ना लौटाने के मामले में सहारा प्रमुख पिछले साल चार मार्च से जेल में बंद हैं। कोर्ट ने जमानत के लिए 5,000 करोड़ की बैंक गारंटी और 5000 करोड़ कैश की शर्त रखी थी। कोर्ट ने सहारा को इसके लिए देश और विदेश की संपत्ति बेचने की इजाजत भी दी थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कह दिया था कि सहारा को और मौके नहीं दिए जाएंगे। अगर कुछ नहीं किया गया तो कोर्ट रिसीवर नियुक्त कर सहारा की संपत्ति को नीलाम भी करा सकता है।