यह ख़बर 24 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

साईं बाबा के 40 हजार करोड़ के साम्राज्य पर सवाल

खास बातें

  • साईं बाबा के निधन से श्री सत्य साईं केंद्रीय न्यास के भविष्य पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। न्यास के पास 40,000 करोड़ रुपये की चल-अचल सम्पत्ति है।
पुट्टापर्थी:

आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा के निधन से श्री सत्य साईं केंद्रीय न्यास के भविष्य पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। न्यास के पास 40,000 करोड़ रुपये (नौ अरब डॉलर) की चल-अचल सम्पत्ति है। चूंकि न्यास के अध्यक्ष बाबा ने इस विशाल साम्राज्य का कोई उत्तराधिकारी नहीं नियुक्त किया है, लिहाजा न्यास के सदस्यों में बाबा के उत्तराधिकार को लेकर विवाद पैदा हो सकता है। न्यास के सदस्यों में बाबा के भतीजे आरजे रत्नाकर भी शामिल हैं। बाबा के कुछ प्रमुख भक्तों को भरोसा है कि चूंकि न्यास के सदस्यों में देश पूर्व प्रधान न्यायाधीश पीएन भगवती जैसी हस्तियां हैं, लिहाजा न्यास सहज रूप में देश-विदेश में अपने धर्मार्थ कार्यों को करता रहेगा, लेकिन उन्हें इस बात का भी भय है कि सदस्यों में विवाद पैदा होने की स्थिति में सरकार इसे अपने नियंत्रण में ले सकती है। बाबा के एक अनन्य भक्त, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, "न्यास सदस्यों के बीच कोई विवाद नहीं है लेकिन बाबा के पारिवारिक सदस्यों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।" पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति आई तो सरकार न्यास का अधिग्रहण कर सकती है। साईं बाबा को पिछले महीने जब से अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तभी से सदस्यों के बीच मतभेद की खबरें घुमड़ रही थीं। खबर थी कि बाबा के भाई के पुत्र रत्नाकर चेक जारी करने का अधिकार अपने पास चाहते थे, जो कि फिलहाल न्यास के सदस्य सचिव, भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी ए. चक्रवर्ती के पास है। चक्रवर्ती, बाबा की सलाह पर अपनी नौकरी छोड़कर उनके काम में जुड़ गए थे। बाबा के निजी सेवक सत्यजीत यद्यपि न्यास के सदस्य नहीं हैं, लेकिन वह वित्तीय मामलों में अधिक दखल करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि शायद बाबा ने पिछले वर्ष न्यास में एक प्रमुख पद के लिए उनसे वादा किया था। मीडिया के एक वर्ग में आई खबरों में कहा गया है कि रुपयों व सोने से भरे सूटकेशों को प्रशांति निलयम से बाहर कर दिया गया है। हालांकि बाबा के कुछ चर्चित भक्तों ने इन खबरों का खण्डन किया है। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे. ईश्वर प्रसाद ने कहा, "चूंकि न्यास में आने वाला सारा चंदा चेक के रूप में स्वीकार किया जाता है और न्यास नकदी स्वीकार नहीं करता, लिहाजा यहां एक रुपये की भी अनियमितता की गुंजाइश नहीं है।" प्रसाद के अनुसार, भगवती ने हाल ही में न्यास की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए और अफवाहों के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। साईं बाबा ने अपने विशाल साम्राज्य के संचालन के लिए 1972 में न्यास की स्थापना की थी। न्यास के सदस्यों में पीएन भगवती, चक्रवर्ती व रत्नाकर के अलावा पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त एसवी गिरि, चार्टर्ड एकाउंटेंट व उद्यमी इंदूलाल शाह, टीवीएस मोटर्स के वेणु श्रीनिवासन शामिल हैं। बाबा ने रत्नाकर के पिता के निधन के बाद पिछले वर्ष उन्हें न्यास में शामिल किया था। बाबा के अन्य दो भाइयों व बहनों का न्यास से कुछ भी लेना-देना नहीं है।


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