अब सात दिन बाद सलमान को शिकार मामले में बतौर मुलजिम अपना बयान दर्ज कराना होगा.
खास बातें
- 25 जनवरी को एक अन्य मामले में पेशी
- सलमान के खिलाफ शिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका
- कई कानूनी चुनौतियों से अभी जूझना होगा
नई दिल्ली: सलमान खान को भले ही 18 साल पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में बड़ी राहत मिल गई हो लेकिन सलमान खान को काला चिंकारा और हिरण शिकार से जुड़े मामलों में जल्दी ही अभी कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना होगा. काले हिरणों के शिकार मामले में अब इसके सात दिन बाद ही 25 जनवरी को उनको फिर जोधपुर की सीजेएम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हाजिर होकर बतौर मुलजिम अपना बयान दर्ज कराना होगा. सलमान के साथ काले हिरणों के शिकार के आरोपी सैफ अली खान, नीलम, तब्बू और सोनाली बेंद्रे को भी अदालत में हाजिर होकर बयान दर्ज कराना होगा. सलमान के खिलाफ शिकार का यह मामला जोधपुर-पाली रोड पर कांकाणी गांव का है. इसकी सुनवाई भी अब अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसी मामले में 25 जनवरी को इनके बयान होंगे.
निचली अदालत से सजा
दरअसल 1998 में फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' की शूटिंग के दौरान सलमान पर हिरण और चिंकारों के शिकार का आरोप लगा था. सलमान पर हिरण शिकार के तीन मामलों समेत कुल चार मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से काला चिंकारा शिकार के दो मामलों में सलमान को 2007 में निचली अदालतों से क्रमश: एक साल और पांच साल की सजा सुनाई गई थी. उस समय सलमान को एक सप्ताह की जेल यात्रा करनी पड़ी थी. बाद में पिछले साल जुलाई में हाई कोर्ट ने सलमान को सबूतों के अभाव में दोनों मामलों में बरी कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट में मामला
इसके खिलाफ राजस्थान सरकार ने अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. अपनी अपील में राजस्थान सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह सलमान खान को आदेश दे कि वह तत्काल आत्मसमर्पण करें और अपनी सजा पूरी करें. अपनी अपील में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य गवाह ड्राइवर हरीश दुलानी की गवाही नहीं हुई. हरीश दुलानी का कहना है कि उसने सलमान को चिंकारा का शिकार करते हुए देखा लेकिन बाद में वह गायब हो गया और जब उसको खोजा गया तो उसने बताया कि वह डर कर पीछे हट गया था. राज्य सरकार ने हरीश की गवाही को मुख्य आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अभी इस मामले में सुनवाई होनी है.