संदीप सिंह: जहां आज तक BJP ने नहीं चखा जीत का स्वाद, क्या 'फ्लिकर सिंह' खोल पाएंगे खाता?

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह ने 26 सितंबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा.

संदीप सिंह: जहां आज तक BJP ने नहीं चखा जीत का स्वाद, क्या 'फ्लिकर सिंह' खोल पाएंगे खाता?

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह ने थामा बीजेपी का हाथ- (Sandeep Singh)

हरियाणा:

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह ने 26 सितंबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा. उनके शानदार खेल के लिए उन्हें 'फ्लिकर सिंह' भी कहा जाता है. राजनीति में वह वैसी ही सनसनी दोहराने का लक्ष्य बना रहे हैं जैसा भारत ने 2009 में उनकी कप्तानी में 13 साल के अंतराल के बाद सुल्तान अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट जीता था. इस बार वह राजनीति में नए दांव-पेच के साथ मैदान में उतरने के इरादे में हैं.

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हॉकी के पूर्व भारतीय कप्तान संदीप सिंह ने शुक्रवार को पेहोवा से नामांकन भरा है. हाल ही में राजनीति में एंट्री करने वाले संदीप सिंह कुरुक्षेत्र के शाहाबाद के एक छोटे सी जगह से हैं. जहां से वह आते हैं वह क्षेत्र सरस्वती नदी के लिए जाना जाता है, जिसका उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है. 

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए संदीप सिंह ने अपने चुनावी क्षेत्र और पार्टी की चुनौती के बारे में बताया. पेहोवा से आज तक बीजेपी ने कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं जीता है. संदीप सिंह ने कहा, ''एक ही जीवन में कई सारी चुनौतियां देखी है. यदि कोई चुनौती नहीं है तो मतलब कोई जीवन नहीं.'' उन्होंने आगे कहा, ''यही कारण है कि मेरा मनोबल ऊंचा है और हम निश्चित रूप से सफलता हासिल करेंगे.''

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साल 2000 से पेहोवा विधानसभा सीट पर कांग्रेस (Congress) और क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) का ही कब्जा रहा है. यहां से 2005 और 2009 में कांग्रेस नेता हरमोहिंदर सिंह ने जीत हासिल की, जबकि आईएनएलडी से जसविंदर सिंह ने 2000 और 2014 में जीत हासिल की थी. पिछले विधानसभा चुनाव में पेहोवा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार जय भगवान शर्मा को 9347 वोटों से हराया था.

जसविंदर सिंह साल 1991 और 1996 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान आईएनएलडी टिकट से विधायक रह चुके थे. हालांकि इसी साल की शुरुआत में कैंसर की बीमारी के कारण उनका निधन हो गया था और उप चुनाव नहीं हो सका. फिलहाल उन्हें मैन ऑफ वर्ड्स और किसानों के मुद्दों को लेकर लड़ने के लिए पहचाना जाता रहा. 

साल 2006 में एक ट्रेन में सफर के दौरान 33 वर्षीय संदीप सिंह दुर्घटनावश बंदूक की गोली की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद वह लकवाग्रस्त के शिकार हो गए थे और दो साल तक व्हीलचेयर पर ही थे. फिलहाल अब उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए प्रेरणा हैं. राजनीति ज्वाइन करके वह देश की सेवा करना चाहते हैं.

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हालांकि संदीप सिंह को अब इस सीट से सबसे मजबूत दावेदार संदीप ओंकार जैसे भाजपा नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने कहा कि चुनाव क्षेत्र में उनकी कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया. फिलहाल ओंकार अब निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं.

संदीप सिंह ने कहा, ''मैं यहां एक मिशन के साथ हूं. मुझे भाजपा टीम पर पूरा भरोसा है. हम निश्चित रूप से एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे. पूरी पार्टी एकजुट है, एक परिवार है. हम सभी एकजुट हैं.'' अपने चुनावी रणनीति पर उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, ''एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में मैं खेल से पहले अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर सकता. इसी तरह राजनीति में भी, लेकिन हम विपक्ष का जोरदार तरीके से टक्कर देंगे.'' उन्होंने यह भी कहा, ''लंबे समय से मैं भाजपा का अनुसरण कर रहा हूं. मैं प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित हूं और पूरे मनोयोग से राष्ट्र की सेवा करना चाहता हूं.''

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संदीप सिंह युवाओं के लिए काम करना चाहते हैं और ड्रग्स के खिलाफ अभियान शुरू करना चाहते हैं. उन्होंने शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. चोट से उबरने के बाद अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित संदीप सिंह पर बॉलीवुड में फिल्म 'सूरमा' भी बन चुकी है, उनका किरदार दिलजीत दोसांझ ने किया था. यह उनके लिए एक जानलेवा चोट थी, लेकिन वह 2008 में अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के कारण राष्ट्रीय टीम में लौटे. 

कांग्रेस की ओर दिवंगत व पूर्व विधायक हरमोहिंदर सिंह के बेटे मनदीप सिंह चट्ठा मैदान में हैं, जबकि आईएनएलडी की गोलबंद गुट जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में रणधीर सिंह को उतारा. 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 21 अक्टूबर को होगा और परिणाम 24 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)