टीपू सुल्तान को लेकर येदियुरप्पा के रवैये पर संघ सहमत, हैदर अली को भी पुस्तकों से हटाने की मंशा

टीपू सुल्तान की जयंती पर पाबंदी लगाने के कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा के फैसले पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए

टीपू सुल्तान को लेकर येदियुरप्पा के रवैये पर संघ सहमत, हैदर अली को भी पुस्तकों से हटाने की मंशा

टीपू सुल्तान की तस्वीर.

खास बातें

  • किताबों में टीपू और हैदर का जिक्र हटाकर नया इतिहास पढ़ाया जाए
  • संघ परिवार का आरोप है कि टीपू ने लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया
  • टीपू कर्नाटक में कई लोगों के लिए नायक, तो कई के लिए खलनायक
बेंगलुरु:

टीपू सुल्तान की जयंती पर पाबंदी लगाने के कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के फैसले पर भले ही हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हों लेकिन लेकिन संघ परिवार येदियुरप्पा के फैसले को सही मानता है और अब मांग इस बात को लेकर उठाई जा रही है कि टीपू सुल्तान के साथ-साथ उनके पिता हैदर अली से जुड़े चैप्टर भी इतिहास की पुस्तकों से हटाए जाएं. टीपू सुल्तान की एक तस्वीर है जो कि उनकी असली तस्वीर मानी जाती है. माना जाता है कि यह चित्र जर्मन पेंटर जोहन ज़ोफानी ने 1780 में तब बनाया था जब टीपू 30 साल के थे. विवाद टीपू की तस्वीर को लेकर भी उठा और टीपू जयंती पर बीजेपी की राज्य सरकार की पाबंदी पर भी.

अब मांग इस बात की उठ रही है कि टीपू के साथ-साथ उनके पिता हैदर अली के बारे में जो इतिहास की किताबों में पढ़ाया जाता है उसको हटाकर नया इतिहास पढ़ाया जाए, जो कि टीपू की एक अलग तस्वीर पेश करता है.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री से पूछा है कि जब 28 जयंतियों को मनाने में हर्ज नहीं है तो टीपू से परहेज़ क्यों? जब येदियुरप्पा ने बीजेपी छोड़कर केजीपी का दामन थामा था तो टीपू के मामले में उनके तेवर अलग थे. टीपू के लिए उनमें प्रेम जगा था. लेकिन बीजेपी में आते ही येदियुरप्पा बदल गए, टीपू जयंती पर ही रोक लगा दी.

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अब कर्नाटक बोर्ड के लिए सिलेबस तैयार करने वाली संस्था यह तय करने में लगी है कि टीपू और हैदर अली के बारे में जो अब तक पढ़ाया जा रहा है वही पढ़ाया जाए या इसमें बदलाव किए जाएं. संघ परिवार का आरोप है कि टीपू ने लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया और कुदगु जिले में नरसंहार भी किया.

इतिहासकार प्रोफेसर के नरसीमैयाह कहते हैं कि टीपू ने कुदगु में हमला इसलिए किया क्योंकि वहां के लोगों ने सात बार अंग्रेज़ों से मिलकर टीपू के खिलाफ बगावत की. कोई भी राजा अपने क्षेत्र की बगावत बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिए उसने हमला किया. और दूसरे राजाओं ने भी यही किया.

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टीपू सुल्तान यहां कई लोगों के लिए नायक हैं तो कई के लिए खलनायक. जिनके लिए वे नायक हैं उनमें से कई ऐसे हैं जो टीपू को वाली मानते हैं. जो उन्हें नापसंद करते हैं उनके लिए वे रावण से कम नहीं हैं. वोटों का ध्रुवीकरण यहीं से शुरू होता है.

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