कभी जिस महानिर्वाणी अखाड़े में चलता था चिन्मयानंद का सिक्का, अब उसी अखाड़े से...

संतों के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने चिन्मयानंद (Chinmayanand) को संत समुदाय से बाहर करने का निर्णय लिया है.

कभी जिस महानिर्वाणी अखाड़े में चलता था चिन्मयानंद का सिक्का, अब उसी अखाड़े से...

चिन्मयानंद (Chinmayanand) की फाइल फोटो.

खास बातें

  • जेल भेजे गए चिन्मयानंद की बढ़ीं मुश्किलें
  • अब छिनेगा चिन्मयानंद का साधु पद
  • अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने की घोषणा
प्रयागराज :

यौन उत्पीड़न के मामले में जेल भेजे गए चिन्मयानंद (Chinmayanand) की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. अब संतों के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने चिन्मयानंद (Chinmayanand) को संत समुदाय से बाहर करने का निर्णय लिया है. एबीएपी के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने शनिवार को परिषद की बैठक के बाद कहा कि चिन्मयानंद को संत समुदाय से बाहर करने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा, 'अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की औपचारिक बैठक 10 अक्टूबर को हरिद्वार में होगी और इस फैसले से महागठबंधन की मंजूरी मिल जाएगी.' महंत नरेंद्र गिरि ने आगे कहा, 'चिन्मयानंद ने अपने कुकर्मों को स्वीकार कर लिया है और संत समुदाय के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता. वह तब तक निर्वासित रहेंगे, जब तक कि वह अदालत से छूट नहीं जाते.' आपको बता दें कि चिन्मयानंद वर्तमान में महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. संत समाज से बाहर होने के साथ ही 73 वर्षीय चिन्मयानंद अब अपने इस पद को भी खो देंगे. अगर वह संत समुदाय से बाहर हो जाते हैं तो अपने नाम के आगे 'संत' या 'स्वामी' नहीं लगा पाएंगे. 

कौन हैं चिन्मयानंद ? 
राममंदिर के आंदोलन से लेकर राजनीतिक रसूख कायम करने वाले चिन्मयानंद (Chinmayanand) मूल रूप से गोंडा के रहने वाले हैं. उनका घर गोंडा जिले के परसपुर क्षेत्र के त्योरासी रमईपुर में है. चिन्मयानंद के बचपन का नाम कृष्णपाल था. बताया जाता है कि चिन्मयानंद पॉलीटेक्निक की पढ़ाई करने के दौरान झांकी देखने के लिए दिल्ली गए तो वहां से लौटे नहीं. वर्षो तक परिवारजन से दूर तथा गुमनामी में रहकर उन्होंने संत से लेकर बड़ा सियासी पद तक हासिल किया. कृष्णपाल उर्फ चिन्मयानंद ने करीब 20 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था. उस वक्त वह मनकापुर में पॉलीटेक्निक कर रहे थे. वहां से गणतंत्र दिवस की झांकी देखने दिल्ली गए और फिर लौट के नहीं आए. उन्होंने इंटरमीडिएट की शिक्षा परसपुर के तुलसी स्मारक इंटर कॉलेज में हासिल की. 

राम मंदिर आंदोलन के रहे हैं संयोजक 
चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की है. चिन्मयानंद का शाहजहांपुर में आश्रम भी है और वहां उनका एक लॉ कॉलेज भी है. अस्सी के दशक में चिन्मयानंद शाहजहांपुर आ गए और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बनकर उन्हीं के आश्रम में रहने लगे. धर्मानंद के गुरु स्वामी शुकदेवानंद ने ही मुमुक्षु आश्रम की नींव रखी थी. अस्सी के दशक के आखिरी में देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ रहा था. इस आंदोलन में चिन्मयानंद ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक सफर का आगाज किया. 19 जनवरी, 1986 को वह राम जन्मभूमि आंदोलन संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक बने.1989 में स्वामी निश्चलानंद के अधिष्ठाता पद छोड़ने के बाद चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम आ गए.

वाजपेयी सरकार में रह चुके है मंत्री 
चिन्मयानंद पहली बार भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से 1991 में सांसद चुने गए. इसके बाद 1998 में मछलीशहर और 1999 में जौनपुर से सांसद चुने गएय इसके बाद वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री बनाए गए. स्वामी चिन्मयानंद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अपना करीबी बताते रहे हैं. भाजपा में इनकी सक्रियता लगातार थी. इसी कारण इन्होंने 2014 में लोकसभा का टिकट भी मांगा था, लेकिन उन्हें कुछ अपने ही नेताओं के कारण यह टिकट नहीं मिला. भाजपा में उनका सक्रिय प्रभाव तब कम हो गया जब आठ साल पहले उन पर यौन शोषण के आरोप लगे और मुकदमा दर्ज हुआ. आरोप लगाने वाली महिला शाहजहांपुर में स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी. भाजपा सरकार बनते ही उनके खिलाफ मुकदमा वापस ले लिया गया, लेकिन पीड़ित पक्ष ने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी. फिलहाल हाईकोर्ट से स्वामी चिन्मयानंद को इस मामले में स्टे मिला हुआ है.

वीडियो वायरल होने के बाद पहुंचे सलाखों के पीछे
स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की एक छात्रा ने 24 अगस्त को एक विडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद (Chinmayanand) पर शारीरिक शोषण और कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने के आरोप लगाए और उसे व उसके परिवार को जान का खतरा बताया था. वीडियो सामने आने के बाद छात्रा लापता हो गई थी. इस मामले में 25 अगस्त को पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था. इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपय रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 30 अगस्त को पीड़िता को उसके एक दोस्त के साथ राजस्थान से बरामद कर लिया गया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की. 16 सितंबर को पीड़िता की ओर से दिल्ली पुलिस को दी गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए धारा 164 में उसका बयान दर्ज कराया गया. छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर करीब नौ माह तक यौन शोषण करने, दुष्कर्म कर उसका विडियो बनाने, नहाने का विडियो बनाने और उन्हें गायब कर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. 20 सितंबर को उप्र पुलिस की एसआईटी ने चिन्मयानंद को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया. (इनपुट-IANS)

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Video: रेप के आरोपी चिन्मयानंद को एसआईटी ने किया गिरफ्तार